tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post3009192337376270870..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: होली का तरही मुशायरा :-सनम की गली में जूते खाने आज आ रहे हैं पाठशाला के तीन छिछोरतम विद्यार्थी गौतम राजरिशी, रविकांत पांडे और वीनस केसरी ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-52998642667569311502010-02-25T13:37:01.154+05:302010-02-25T13:37:01.154+05:30सुबीरजी!
बहुत आभार आपका होली की ऐसी मस्ती को ब्लॉग...सुबीरजी!<br />बहुत आभार आपका होली की ऐसी मस्ती को ब्लॉग तक पहुंचाने के लिए. तीनों हज़लें बहुत अच्छी लगी. तीनों शायरों को बधाई. सभी को होली की शुभ कामनाएं. मैं तो अपनी ग़ज़ल में कुछ ज्यादा ही शराफत दिखा गया. <br />जोगेश्वरjogeshwar garghttps://www.blogger.com/profile/18415761246834530956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-83041243044778173412010-02-24T09:27:11.136+05:302010-02-24T09:27:11.136+05:30तीनों धुरंधरों ने मिल कर मस्त समा बांधी...आनन्द आ ...तीनों धुरंधरों ने मिल कर मस्त समा बांधी...आनन्द आ गया होली का.....लग रहा है कि भारत में होली खेल रहे हैं..बहुत मजेदार!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-90362290794466436812010-02-24T09:00:14.436+05:302010-02-24T09:00:14.436+05:30प्रणाम गुरूदेव!
क्या कहें सनम की गली में कौरवों ने...प्रणाम गुरूदेव!<br />क्या कहें सनम की गली में कौरवों ने भरी सभा में चीरहरण कर दिया और पितामह और द्रोण सरीखे आचार्य देखते रहे!!! छिछोरतम जैसे नूतन शब्दों के ब्रह्मा को नमन है। <br /><br />शेष गुरूभाई गौतम जी और वीनस की हज़ल मज़ेदार है। जितनी बार पढ़ो आनंद द्विगुणित होते जाता है।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-16621650345169176732010-02-24T01:51:33.084+05:302010-02-24T01:51:33.084+05:30समझिये को समझाइये(बतलाइये) पढ़ियेगा...समझिये को समझाइये(बतलाइये) पढ़ियेगा...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-38110063317744536232010-02-24T01:48:10.923+05:302010-02-24T01:48:10.923+05:30गौतम भैया और रवि भैया तो मेरे पसंदीदा गज़लकार थे ह...गौतम भैया और रवि भैया तो मेरे पसंदीदा गज़लकार थे ही अब वीनस जी का भी नाम शामिल करना पड़ेगा.... गौतम भैया कभी मुझे भी समझिए कैसे लिख लेते हैं इतनी व्यस्तता में.. मैं तो सोचने के लिए समय भी नहीं निकाल पा रहा आजकल.. बस आज-कल कह कह के ही टाल रहा हूँ, लगता है होली के बाद ही जूता पड़ेगा मेरी गली में मुझको ही.. हा हा हा..<br />जय हिंद...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-27219100586119129422010-02-23T23:54:40.224+05:302010-02-23T23:54:40.224+05:30बाकी अबही दुई चार का और भेजे रहे उनहू के जूता पैजा...बाकी अबही दुई चार का और भेजे रहे उनहू के जूता पैजार हुई होए अब त काले पता चली की का हुआ रहा <br />ही ही ही <br /><br /><br />@ कंचन जी गली में हम कूकुर छोड रहे अऊर दांग भी हामार उ डांस वाले कूकुररे करेंन हम त बस ताकत रहे <br />अऊर जों होली म हमसे दुश्मनी करी ओका जमालघोटा नाही तो का भांग के लोटा देब हम ?<br /><br />@ अंकित बाबू हम त पहिलहें कपड़ा फाड़ के नाचे रहे इ त बाद में लोगन जबरदस्ती हमका पहिनाए दिहेंन......... कहें बबुआ ऐसी नाही होता है कपिदा पहिन लो छोकरियाँ देखत ही त हम सरमाय के पहिन लियावीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-53106472963368457622010-02-23T23:42:36.201+05:302010-02-23T23:42:36.201+05:30देखेव गुरु जी हमार लंठई
हम त पहिलें कहे रहे के
...देखेव गुरु जी हमार लंठई<br />हम त पहिलें कहे रहे के <br /><br /><br />तुम्हारे अब्बा को भी चेताया, रकीब भेजे तेरी गली में<br /><br />उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में<br /><br />अब देखा जों जों रकीब रहें जेका जेका अपने सनम के गली हम भेजे रहे उनके का हाल हुआ हमार सनम के अब्बा उनके भरता बने दिहेंन <br /><br /><br /> देखो गुरु जी ई पाखी बाऊ हैं <br /><br /><br />दवा मिलेगी ये सोच के हम जहर पी आए तेरी गली में<br /><br />उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में<br /><br />हे हे हे मजा आय गवा <br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />अऊर ई है हमार वीरा <br /><br />वो सजना-धजना, लटें बनाना, इतर-फुलेलों में डूबे रहना<br /><br />उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में<br /><br />हे हे अऊर लेव पंगा अरे हमही उनके अब्बा का तुहार घुसपैठ के बारे में खबर किहे रहे <br /><br /><br /><br /><br />अऊर ई है हमार रवी बाबू <br /><br /><br />कसम खुदा की मुड़ाते ही सर पड़े हैं ओले तेरी गली में <br />उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में <br /><br />ई तो सर मुडाय के बैठे रहे दे दनादन इतना पड़ा के इनके सर "पा" के सर होय गवा <br /><br />हा हा हावीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-68156006014225604212010-02-23T23:31:19.739+05:302010-02-23T23:31:19.739+05:30गुरु देव पाँव लागी
पाहिले त इ बताय देई की हमका इ ...गुरु देव पाँव लागी <br />पाहिले त इ बताय देई की हमका इ बर्दास्त नहीं होय रहा की की खोते वाली फोटुआ अभिनौ बिलाग में चपकी बा अरे हमारव सोभा बढ़ावा जाए का हम कोई खोते से कम हैं का <br />इ काम काले होय चाही <br /><br />अऊर इ का करे हो गुरु देव इहाँ भी हमार साथे अईसा बलात्कार अरी नाही नाही बलात्कार नाही अनाचार हां <br /><br />ऐसा अनाचा के हमका फटही कमीज रवी बाबू का चिथादी कमीज और वीर बाबू का बढ़िया वाली माचो के बनियाइन जेका देख देख के छोकरियाँन भी लाइन मारे लगे अरे हमार साथ ऐसा काहे करेव गुरु देव अब आपै बताओ इ तीनो फोटो में त कुवारे हमही रहे<br /><br />पता नाही काहे हमार साथै ऐसा काहे होत है बूऊऊऊ :(:(वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-10188051654741838112010-02-23T20:53:18.168+05:302010-02-23T20:53:18.168+05:30he he he
khoob gazlen nikaali hai........
aur pho...he he he <br />khoob gazlen nikaali hai........<br />aur photo bhi baap re...... <br /><br />holi ki badhayi <br />khoob maza aayegaश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-5703650443995331832010-02-23T18:20:12.370+05:302010-02-23T18:20:12.370+05:30धत तेरे की मुंह थुरवा आये बहादुर शेर हमारे ... कह ...धत तेरे की मुंह थुरवा आये बहादुर शेर हमारे ... कह रहा था इन सभी को के अगर आदत नहीं है तो ना जावो मगर ना मेरी सुनता कौन है ... लगे थे शेखी बघारने , अब कैसी बड़ी ... अरे जब कहा था के दो शादी शुदा हो मत जावो तो बड़े उछल रहे थे ... के नहीं कोई पहचानेगा नहीं हुह कैसी लगी...<br />गौतम भाई ये अलग जगह और हालात थे मेरी जान गोलियां नहीं चलाई जाती है यहाँ पर ... आँखों से काम लिया जाता है ... टूशन तो दिया ही था मैंने सभी को , मगर होम वर्क कहे का कोई करे ... अब लो झेलो... आपकी हज़ल तो पक्की बैठी है ... ससुरा मुंह एसिया मार के फूला दिया हैं के पहचान भी नहीं आरही उफ्फ्फ्फ़ ... :)<br />और काजी रसायन पढावे गई रहनिहा रौआ अब किसान लागता एई रवि भाई माजा आईल हा के ना लाज नीके आवत कहानी हा के जाएदा हमारा के हो मगर कहे के जवानी ता अबहिवों जैसे भूत भइल बा अब ला भूत बना देलन सा नूं! अरे बुढापा आगिल हो तानी संभल के ... तोहरा धोती के लंगोटी बना देलन सा .... मगर रसायन के तडका सही लागल हा ... :)<br />तोह के तो कहत रही के ना जा भैया ना जा मगर तोहके ता ऐसन भंग के मजा चढ़ल हुआ के का ही तिन से समझावत रही मगर तू कहे के मानबा. तोहके तो अपना ग़ज़ल बनाई खरिरा देर हॉट हा... अब नाही बनेबा ग़ज़ल में मिसरा रदीफ़ .... कहनी के मुक्तक से काम चलवा बिटवा मगर ना समझे के ता हिये ना बा ... ता ला भोगा ... अंखिया कैसे सूज गिल बा हो ... हमर नन्हका के सब मार मार के लाल कर देलन ... अब तोहके लाले कहब ताकि हमेशा याद रही ... :) :) :)<br /><br /><br />गुरु देव प्रणाम मजा आगया सभी गुरु भाईयों को देख कर ... मरे हंसी रुक ना रही ... जय हो ...<br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-20222353296780510772010-02-23T15:56:19.273+05:302010-02-23T15:56:19.273+05:30aaha...........holi ke rang bhar diye hain sare ke...aaha...........holi ke rang bhar diye hain sare ke sare.........ab koi rang bachta to kuch kahte bhi ........magar yahan to gobar ,jamalghota,khujli wala powder,tamatar ,joote..........sare to rang bhar diye hain ...........to ab to yahi kahenge----------<br />ab ki holi ye teeno majnoo<br />laila laila chillayenge teri gali meinvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-44434481920826599702010-02-23T15:40:27.807+05:302010-02-23T15:40:27.807+05:30ओहो.ओहो........ओहो....हँसते हँसते दम निकल न जाये क...ओहो.ओहो........ओहो....हँसते हँसते दम निकल न जाये कहीं! <br /> सुबीर साहब महफ़िल का आगाज़ जब इतना जबरदस्त है तो आगे क्या होगा समझा जा सकता है.................तीनों शायरों ने भंग का रंग दिखने में कोई कसर तो छोड़ी नहीं है ....... ऊपर से आपकी भूमिका इस पुरे माहौल को और जानदार बनाती है...........!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37681761031255694942010-02-23T14:20:17.347+05:302010-02-23T14:20:17.347+05:30गौतम भैय्या, पिट पिट के मुह सुजा बैठे हैं मगर वो च...गौतम भैय्या, पिट पिट के मुह सुजा बैठे हैं मगर वो चेहरे की कमबख्त हसी है जो कह रही है अभी कुछ जूते ही नहीं खाए............हा हा हा<br />सामने वाले दो दांत तो कहर ढा रहे हैं<br />शुरूआती शेर तो .......माँ कसम आप पे आप बीती को पेश कर रहे हैं, धमाकेदार पिटाई से बहुत अच्छे शेर निकलें हैं.<br /><br />रवि जी, इस मोक्ष के महारसायन का जल्दी ही पटेंट ले लीजिये ............<br />ना जाने अगली बार इतनी खूबसूरत पिटाई का मौका कब मिले, मगर ये कान क्यों चौड़े कर लिए आपने...................<br /><br />अरे वीनस, ये आँखें फाड़ फाड़ के किसे देख रहे हो...........<br />लगता है देख रहे हो की कोई आके मेरे भी कपडे फाड़ डाले वर्ना इस ब्लॉग में तो फट ही जायेंगे,<br />ये रगडा हुआ फेटा तुम भी खाने के लिए तैयार हो जाओAnkithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85358606626558437332010-02-23T14:19:38.340+05:302010-02-23T14:19:38.340+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-247693898061419082010-02-23T14:04:39.412+05:302010-02-23T14:04:39.412+05:30पंकज जी, आदाब
गुरूकुल परिवार से जुड़े सभी अग्रज-अनु...पंकज जी, आदाब<br />गुरूकुल परिवार से जुड़े सभी अग्रज-अनुज सदस्यों को रंगों के पर्व होली की ढेर सारी शुभकामनाएं<br />बहुत कोशिश की, कि हज़ल के रंग में कुछ कह सकूं, <br />लेकिन हर शेर ग़ज़ल के लबादे में लिपटकर रह गया. <br /><br />यहां तक कि गिरह भी कुछ यूं लगी-<br /><br />हदों से आगे बढ़े जो वो फिर ये कहता जाये तेरी गली में<br />’उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में’<br /><br />हंसी मज़ाक़ के रंगों से सजी होली की इस महफ़िल में <br />ये बेरंग अश’आर...खुद को ही अच्छे नहीं लगे<br /><br />फिर निर्णय लिया कि इस बार ’पाठक भवन’ की छत से ही आनन्द लिया जाये...बस ये अनुरोध है कि टिप्पणी (टिप्पणियों) को ही हाज़िरी के रूप में दर्ज़ कर लिया जाये...<br />बहुत अच्छा लग रहा है....खूब रंग उड़ रहे हैं...एक बार फिर से सभी को होली की शुभकामनाएंशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-7721808697282027512010-02-23T13:57:01.847+05:302010-02-23T13:57:01.847+05:30हमारे अपनो की ये हालत देख कर हमें तो लग रहा है कि ...हमारे अपनो की ये हालत देख कर हमें तो लग रहा है कि हम चुपचाप निकल लें...! उम्मीद से अधिक वो निकले ये लोग जो गुरु जी ने कहा है। असल में अपशब्दों का स्तेमाल करने को अम्मा ने मना किया है। <br /><br />जब पता था कि आसिक बहुवचन में हैं तो काहें पहुँच गये थे सुताई, धुनाई करवाने..? ऐं..?? डाक्टर ने पर्चा लिखा था का ???<br /><br />टूटी हड्डी, फटी कमीज के बावजूद उफ्फ्फ्फ् ना करना... यहाँ तो बात बात में उफ्फ्फ्फ्फ् कहते रहते हैं और दूसरा कोई प्रयोग करे तो चले आते हैं अपना कॉपीराईट प्रमाण पत्र ले के। कौनो मईडळ मिलना था क्या जो इतनी खाई और उफ्फ्फ्फ् भी ना की।<br /><br />सात मुटल्ले भइयन की एख बहिन से इस्कै काहें किया जी ? जो अभ रोइ रहे हो...!!<br /><br />अरे हमही ने तो गिफ्ट किया था वो कुरता पईजामा...! होली आई नही कि राखी के तार फेंक फाँक पहुँच गये उहाँ मासूका की गली में तो का होगा हमारा अंदर से दिल कचोट के रहि गया जब पता चला वो राखी पे दिया कुरता तुम फड़वाई आये उन डैशों से।<br /><br />और बाकी तो भई सेंटी टाइप शेर हैं। <br /><br />अब रविकांत जी सुना है कि इश्क आपका किसी हिल स्टेशन पर ही हुआ था, मगर मौसम विभाग से पूँछ के सिर घुटाना था ना...<br /><br />भाबी की सखी तो आजकल हम भी हो गये हैं...! अभी शीशा देख के थोड़ा चुड़ैल टाईप लुक आ भी रहा है।<br /><br />गुड एक केमेस्ट्री के स्टूडेंट से इस रसायन वाले शेर की ही उम्मीद थी...<br /><br />वो गदहों वाली गली हमे भी दिखाइयेगा, कानपुर में है या कहीं और..??<br /><br />वीनस छुटके ये बताओ कि कूकुर भी तुम ही छोड़े औ धरम जी टाईप डांस भी तुमही किये तो उनके भाईयों ने क्या किया..? ऐं ??<br /><br />जमालगोटे का लड्डू...? गलता है भाई इससे किसी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है..<br /><br />ये जो तुमने रवि जी की तरह उद्घोषणा किया बगैर कचरा, गोबर और खुजली पावडर मिला के नया रसायन बनाया है वो बिंदास है। ज़रा हमको भी भिजवाना..बड़े दुश्मन हो गये हैं आज कल...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-36674621320020599232010-02-23T13:13:28.656+05:302010-02-23T13:13:28.656+05:30वाह आज तो सभी भांग के नशे में नज़र आ रहे हैं .... ...वाह आज तो सभी भांग के नशे में नज़र आ रहे हैं .... और कमाल देखो कीचड़, गोबर, जमालघोटा ... ऐसे बाँट रहे हैं जैसे लादू हों ...... गौतम जी .... लगता है ज़्यादा पिटाई हो गयी ... पर पिटाई का फ़ायडा ये हुवा की ग़ज़ब का शेर बन गया ...<br />रवि कांत जी ने लगता है ज़्यादा भांग चड़ा ली ... हसीन सखियाँ भी उनको चुड़ेल नज़र आ रही हैं ...<br />और वीनस जी .. सही किया जो दुश्मन बन के आए उनको सबक ज़रूर सिखाना चाहिए .. अच्छा किया जमाल घोटा पीला दिया ... <br />दुरुदेव .. मुशायरा अपने शबाब में आता जा रहा है ... मस्ती में झूमने का वक़्त करीब आ रहा है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-61823412940528035322010-02-23T11:36:05.587+05:302010-02-23T11:36:05.587+05:30सुबीर जी होली कि हार्दिक शुभकामनाएं ......!!
आपका...सुबीर जी होली कि हार्दिक शुभकामनाएं ......!!<br /><br />आपका यूँ होली का स्वागत देख मुस्कराहट तैर गयी ......लाजवाब प्रस्तुति.....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-80845796285214464922010-02-23T11:14:35.394+05:302010-02-23T11:14:35.394+05:30सुबीर भईया !!! ये क्या No holds barred होली की ध...सुबीर भईया !!! ये क्या No holds barred होली की धूम मचाई है आपने :) अब आपको कब तक नए-नए तरीके के दाद दें ... ज़रा मोहलत दीजिये हमें अल्लाह की खातिर !!! <br />वीनस जी की "कहन का कचरा..." , "धरम जी जैसा नाच" ... बहुत खूब!<br />रवि जी की पूरी ग़ज़ल जबरदस्त... पर 'महारसायन' से जो भावनाओं का तारतम्य बैठाया है उन्होंने वह मनुज-दनुज, जोगी, विरागी, गुफानिवासियों से होता हुआ बड़ी ही खूबसूरती से महारथी पे culminate होता है. रवि जी बधाई कुबूल फरमाएं! <br />प्यारेलाल वाकई रंग में हैं इस बार... बहुत-बहुत अच्छी ग़ज़ल है गौतम भैया !! सुताई-धुनाई की कहानी, उफ्फ न करना, मुटल्ले का cute सा इस्तेमाल, चमकती जूती की छटक ( कौन सा कलर था ? :) ये सब बहुत ज़बरदस्त , very Good! ...और मैंने कितनी ही कोशिश कर ली है पर मुझे आप सजते-धजते ,लटें बनाते , इतर फुलेल लगाते नहीं दीखते हैं... हाँ एक लखनवी गर्धव कुमार :) ज़रूर दिख रहें हैं जिनका फोटो ३ दिन से ब्लॉग पे है :)<br />एक झलक का खेल , गली की रंगत ... सब बहुत सही...जीते रहिये बच्चा पार्टी ...<br />सादर...Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-26212738040587100542010-02-23T10:28:13.412+05:302010-02-23T10:28:13.412+05:30भाई भोत बढ़िया...भोत बढ़िया...ये चौड़ी छाती वीरों ...भाई भोत बढ़िया...भोत बढ़िया...ये चौड़ी छाती वीरों की अगर दुशमन देख लेंगे तो सपने में भी इनसे युद्ध करने नहीं आयेंगे...खास तौर पर रवि तो पूरे सूरमा भोपाली लग रिये हैं...गौतम के मुस्कुराते दांत देख कर तो कोई भी फ़िदा हो जायेगा...और वीनस की मासूम अदा का हर कोई दीवाना...भोत बढ़िया भाई भोत बढ़िया.<br /><br />हज़ल क्या लिखी है लगता है जैसे पुराने जख्मों को कुरेद डाला तीनो ने है...इतना सच तो कोई भांग खा के ही बोल सकता है...जब नशा उतरेगा तो बिचारे सोचेंगे की अरे हमने दुनिया को ये क्या बता डाला:-<br /><br />गुरूजी ने इन तीन तिलंगों के जिन शेरों का जिक्र किया है उसके बाद और कुछ कहने की जरूरत ही नहीं रह जाती...<br /><br />ये तरही मुशायरा क्या है देसी ठर्रा है जिसका सरूर पढने वालो के सर चढ़ के बोल रहा है...और सभी समवेद स्वर में गुरु देव आपसे गुहार लगा रहे हैं..." और जरा सी देदे साकी और जरा ही...हिक..."<br /><br />नीरज <br /><br />बस इक झलक का था खेल सारा...,हो चाहे जोगी विरागी या फिर....,कहन में कचरा ग़ज़ल में गोबर..., ये तीनो शेर हम पोटली में बाँध के अपने साथ लिए जा रहे हैं...कोई रोक सके तो रोक ले..हाँ.नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37362601587497963842010-02-23T10:20:28.528+05:302010-02-23T10:20:28.528+05:30गुरुदेव सबसे पहले तो आज का होली विचार से मूड एकदम ...गुरुदेव सबसे पहले तो आज का होली विचार से मूड एकदम फरेश हो गया हमरा....<br /><br /><b>अजब कहानी सुताई की है</b>, अजब है किस्सा धुनाई का ये; कभी तो सुनना हम आशिकों से, पिटे जो सारे तेरी गली में.<br /><br /><br />अरे बाप रे गौतम बाबू ने क्या स्क्रिप्ट (आत्म कथा) सुनाई है. इस पर फिल्म बनानी ही होगी.<br /><br />न बात कोई बनी जो हम से, लिखा ग़ज़ल फिर तड़प के हमने... आहा क्या अरमान है.<br /><br /><br /><b>रविकांत बाबू,</b> मिले जो गोबर के साथ कीचड़ बने तभी ये महारसायन<br />नहाके जिसमें मनुज-दनुज सब हैं मोक्ष पाते तेरी गली में<br /><br />आपका एक्सपेरिएंस गज़ब है.<br /><br /><br /><b>अरे वीनस, तुम्हारी आँखों का ये हाल. कहा था की हेलमेट पहन के जाओ.</b><br />उछल उछल के धरम जी टाईप जी भर के नाचे तेरी गली में.. और कहन में कचरा गजल में गोबर... सब एक जगह फेट दिए. वाह क्या स्वाद निकल रहा है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-57776238898975529062010-02-23T09:31:28.481+05:302010-02-23T09:31:28.481+05:30अरे ये गौतम को है हुआ क्या, सुताई से हो गया है सु...अरे ये गौतम को है हुआ क्या, सुताई से हो गया है सुन्दर, ग़ज़ल ये उसकी, सुनोगी दुनिया, मेरी गली में, तेरी गली में।<br /> <br />महारसायन रवि का देखो ना जाने कितनों को मोक्ष देगा, पिलाओ तुम ये सहेलियों को तो होली बरसे तेरी गली में। <br />कहॉं-कहॉं से ये ढूँढ लाया यती तपस्वी गुफ़ानिवासी<br />महारथी सब गदहे पे बैठे दिखे टपकते तेरी गली में। <br />कहन में कचरा, ग़ज़ल में गोबर, जमालघोटा रदीफ़ में है<br />फटी सी ऑंखें लिये ये वीनस धरम सा नाचे तेरी गली में।<br /><br />भाई वाह, क्या रंग जम रहा है होली में।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-47567088712035465812010-02-23T09:31:03.876+05:302010-02-23T09:31:03.876+05:30हमने नहीं ना कहा था वीनस भैया, इतनी भंग ठीक नहीं-त...हमने नहीं ना कहा था वीनस भैया, इतनी भंग ठीक नहीं-तोहार भी नंबर अई जावे है,..लो अब मार दिया ना हंसिया पे पाँव!<br />पर एक बात तो है कहन में कचरा गजल में गोबर कर के सारा हुशायरा ही हिला दिया!ई तो गुरु देव की मेहर बानी कि तुमको पुराना इस्कूल का शर्ट पहना दिए,वर्ना तुम तो धोती चड्ढी पाहिले ही खोल खाल दिए थे ...<br />अब भंग पी के इतनी आँखे भी ना निकारो..हाँ!<br />हा!हा!हा!<br />और रविकांत जी,<br />इण होली उपरे सगळा योगी बिरागी कुम्भ मेले सूं घण करो आशीर्वाद चेप रिया है..बां की खटिया ठीक खडी कर मेली है...<br /><br />गौतम बन्ना!<br />मुटल्ला बीरा सूं के समझना चावो ??ध्यान राखजो...कठेई माथे पड़ गिया तो कादो निकाल देवेला..<br />फोटो में तो चोखा घणा लाग रिया हो सा!!!<br />गुरु देव,<br />होली का नशा तो चढ़ता जा रहा है...<br />आपने खूब मेहनत की है..हठीला जी का जादू तो परदे के पीछे चल रहा है..प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23890326663441629692010-02-23T09:17:03.456+05:302010-02-23T09:17:03.456+05:30हा हा हा हा हा हा आपने सही कहा है घर मे जूते खा ख...हा हा हा हा हा हा आपने सही कहा है घर मे जूते खा खा कर ये लोग बोर हो गये थे आज सही जूते खाये हैं वो इनकी हालत बता रही है। मगर एक बात पर शक है कि बेचारे गौत्म को जूते खाने का अवसर ही नही मिलता होगा। जब तक जूते खाने की बारी आती है ये उड जाते हैं काश्मीर की वादियों मे। इनको सही मे माशूका की गली मे जूते पडे हैं वाह वाह क्या गत बनाई है आप खुद ही तो कह रहे हैं जनाब<br />अजब कहानी सुताई की है अजब है किस्सा धुनाई का ये<br />कभी तो सुनना हम आशिकों से पिटे जो सारे तेरी गली मे तो बच्चू ये तो होना ही था <br />थी टूटी हड्डी फटी कमीज़ें----------<br />कहीं ये तब तो नही हुयी जब अस्पताल मे दाखि थे हम भी कहें कि बात कुछ और लगती है। क्या पता था ये सब उन निठले भाईयों की करतूत थी<br />नया पाजामा नया कुर्ता<br /><br /><br /><br /> सब देख रहे हैं हालत मगर बुरा ना मानो ये होली है नया सिलवा देंगे सुबीर जी । ये सब उनकी वजह से ही तो हुया है\<br />यकीन मानो तेरी गली की थी सारी रंगत------ <br />ये शेर बहुत अच्छा लगा इस मे झूठ भी क्या है ये बच्चा है ही इतना अच्छा<br />और रवी कान्त जी की हालत तो बहुत ही खस्ता हो गयी है सुबीर ये बेचारे इतने दुबले पतले कैसे सही होगी इतनी मार <br />तभी तो <br />ये तेरी सखियाँ है या चुडेलें------ उस का सारा दर्द इस शेर मे नज़र आ रहा है। चलो मोक्ष तो मिला इन्हें हा हा हा<br />था जिन्का दावा महारथी------- वाह वाह क्या बात कही बेचारे गदहे बन कर रेंकने के और कर भी क्या सकते थे--- इतनी चुडैलों के बीच<br />ये वीनस मुझे सब से अधिक चालाक लगा जो अपने कपडे बचा गया मगर चेहरे की हालत खस्ता है<br />जो डांस वाले कुकुर ----- <br />अरे ये4 तो होना ही था वैसे मुँह धर्मेन्द्र जैसा जरूर बना दिया गया<br />कहन कचरा गज़ल मे गोबर ------<br />वाह बहुत खूब ये सब बच्चो सुबीर की शरारत है अब कौन इन को कहे पता नही किस किस का क्या क्या हाल होने वाला है--- अभी तो त्रेलर दिखा रहे हैं<br />बहुत आनन्द आया तीनो की गज़लें पढ कर । सब के साथ पूरी सहानुभूति है। <br />सब को होली की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ।सुबीर को आशीर्वाद इतने जूते पडें कि मन बाग बाग हो जाये हा हा हा । माफ करना मेरे भाई होली हैनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-88881756904926831262010-02-23T08:49:57.192+05:302010-02-23T08:49:57.192+05:30बड़ा मजा है तेरी गली में ...वाह! मजा आ गया.
मिर्जा...बड़ा मजा है तेरी गली में ...वाह! मजा आ गया.<br />मिर्जा ग़ालिब का एक शेर भी याद आ गया-<br /><br />रोज कहता हूँ न जाऊंगा घर उनके <br />रोज उस कूचे में इक काम निकल आता है.<br />..देखें होली तक किसकी क्या हालत होती है..!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com