tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post2598473618650468367..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: देह चंदन महक , सांस में मोगरा भीनी गंधें प्रणय रच रही हैं प्रिये, आइये आज प्रीत के तरही मुशायरे को आगे बढ़ाते हुए सुनते हैं श्री राजेंद्र स्वर्णकार से उनकी ग़ज़ल ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger81125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13927335128210386162021-05-10T00:58:18.973+05:302021-05-10T00:58:18.973+05:30तो फिर हम शहर को 12 ही गिनें?तो फिर हम शहर को 12 ही गिनें?Garima Atre Barvehttps://www.blogger.com/profile/11213822653112058180noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-33342924856965943732013-05-30T01:53:20.356+05:302013-05-30T01:53:20.356+05:30बहुत सुंदर प्रस्तुती। मेरे ब्लॉग http://santam suk...बहुत सुंदर प्रस्तुती। मेरे ब्लॉग http://santam sukhaya.blogspot.com पर आपका स्वागत है. अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराये, धन्यवाद Bhagirath Kankanihttps://www.blogger.com/profile/08478244807347845611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-57189765505344067582012-09-27T12:26:07.189+05:302012-09-27T12:26:07.189+05:30आदरणीय राजेन्द्र जी इतना सुन्दर श्रृंगार पर उतने ह...आदरणीय राजेन्द्र जी इतना सुन्दर श्रृंगार पर उतने ही कलात्मक ढंग से प्रतीकों का प्रयोग ....बहुत ही लाजवाब है <br />उमंगित और तरंगीत करने वाली <br />बहुत ही बढ़िया गजल है <br />UMA SHANKER MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/06099647965326076377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-56166667437298996872012-07-20T18:05:24.609+05:302012-07-20T18:05:24.609+05:30वाआह
राजेंद्रजी कालजयी रचना रचने के लिए आसमान सी व...वाआह<br />राजेंद्रजी कालजयी रचना रचने के लिए आसमान सी विशाल व् गहन बधाई स्वीकार करें।<br />मैं खुश नसीब हूँ की मैंने ये रचना आप के मुख से सुनी है और सिर्फ अकेले, कोई और नहीं था श्रवण-साथीदार <br />आपसे पुन मुलाकात का इंतजार हैमहेश सोनीhttps://www.blogger.com/profile/16858727487177975868noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37085351589049092212012-07-10T15:09:58.097+05:302012-07-10T15:09:58.097+05:30मैं सबसे पीछे हूँ। राजेन्द्र जी को बधाई इस " ...मैं सबसे पीछे हूँ। राजेन्द्र जी को बधाई इस " गजल " केलिये ( गजल मे नुक्ता नहीं है इस लिये माफी चाहता हूँ) मेरे हिसाब से किसी भी शब्द को मेहमान मत बनाइये बल्कि उसे घर का सदस्य बना लें। कहने का मतलब की अगर हिंदी मे नुक्ता नहीं हैं तो " गजल " ही रहने दें। उर्दू मे " बिरहमन " ही रहने दें। अगर शब्द को मूल भाषा से मिलाते रहेगें तो दो स्थितियाँ आयेगी या तो हिंदी की अपनी कोइ मूल पहचान नहीं होगी या नहीं तो वह जड़ हो जायेगी। अगर आप किसी विदेशी या अन्य भाषा का शब्द अपनी भाषा के नियम से लेतें हैं तो वह सार्थक होती हैं। इससे न तो अपनी भाषा की प्रकृति बदलती हैं और न ही दूसरे भाषा का अपमान होता है। मेरा यही मत है। दूसरे चाहें तो मेरे मत से असहमत हो सकते हैं।Ashish Anchinharhttps://www.blogger.com/profile/11963153563939587957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-27835804989345535252012-07-06T15:07:49.773+05:302012-07-06T15:07:49.773+05:30# कंचन सिंह चौहान जी
कई बार बहुत धन्यवाद आपको …
:...# <b> कंचन सिंह चौहान जी</b><br />कई बार बहुत धन्यवाद आपको …<br />:)<br /><br />आपने स्वेच्छा-सद्भाव से इतनी सारी प्रशंसा करदी यह मेरे लिए कम सौभाग्य की बात तो नहीं …<br />फिर मजबूर क्यों होना … … …<br />:))<br /><br /><br />पुनः आभार और मंगलकामनाएं !<br /><br /><br />( …और हां, टीवी पर "बहुत ख़ूब" में आपकी प्रशंसनीय प्रस्तुति के लिए हृदय से बधाई ! )Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55065409405021078782012-07-04T14:32:47.657+05:302012-07-04T14:32:47.657+05:30बिजलियों से डरो मत, हमें स्वर्ग से,
अप्सराएं मुदित...बिजलियों से डरो मत, हमें स्वर्ग से,<br />अप्सराएं मुदित देखती हैं प्रिये।<br /><br />सुंदर बात...<br /><br />अनवरत बुझ रहीं, अनवरत बढ़ रहीं,<br />कामनाएं बहुत बावली हैं प्रिये।<br /><br />कई बार बहुत खूब...<br /><br />वैसे तो बहुत से शेर जो बहुत बार प्रशंसा करने को मजबूर करते हैं...!!<br /><br />बधाई, बहुत बहुतकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18051674242530819932012-07-04T12:09:42.646+05:302012-07-04T12:09:42.646+05:30# k the leo जी
इतनी निर्लिप्त प्रतिक्रिया ! - ”रा...# <b> k the leo</b> जी<br />इतनी निर्लिप्त प्रतिक्रिया ! - <b>”राजेंद्र जी के खिलाये इस सुन्दर पुष्प से मकरंद चुरा कर मज़ा लेने और आभार व्यक्त करने का लोभसंवरण नहीं कर पाया।” </b><br />आपकी लाजवाब टिप्पणी ने मुझे लाजवाब कर दिया :)<br />जनाब ! आभार तो हमारा स्वीकार कीजिए…<br />एक सच्चा सृजन-प्रेमी ही समय निकाल कर किसी रचनाकार के उत्साहवर्द्धन का कलेजा रखता है …<br /><br />बहुत बहुत आभार … (आपके नाम से परिचित करवा देते तो कृपा होती …)Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-71343878647137033762012-07-04T12:07:35.215+05:302012-07-04T12:07:35.215+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82843713261019682722012-07-04T12:01:56.647+05:302012-07-04T12:01:56.647+05:30# आदरणीय प्राण जी
सादर प्रणाम ! वंदन !
आपकी टिप...# <b> आदरणीय प्राण जी</b> <br />सादर प्रणाम ! वंदन !<br /><br />आपकी टिप्पणी पाना गर्व और सौभाग्य की बात है !<br />…और टिप्पणी के साथ ही ऑनलाइन आशीर्वाद में आपका यह कहना तो मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगा -<br /><b> main aapkee gazal padh kar praffulit ho gayaa hun<br />aapne aanandit kar diya hai mujhe <br />isee tarah likhte rahiye<br />khoob naam kamaaeeyega<br />main bhee aapkaa fan hun</b><br />पुनः पुनः नमन ! <br />आशीर्वाद-स्नेह सदैव बनाए रहें …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-60544058677734872662012-07-04T11:59:59.529+05:302012-07-04T11:59:59.529+05:30# अंकित जोशी जी
शे’र निकल आए …क्या करूं :)
शु...# <b> अंकित जोशी जी </b> <br />शे’र निकल आए …क्या करूं :)<br /><br />शुक्रिया !Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-28260822187826052122012-07-04T11:59:13.948+05:302012-07-04T11:59:13.948+05:30# सौरभ शेखर जी
आपने ग़ज़ल पसंद की … मेरा सौभाग्य...# <b> सौरभ शेखर जी</b> <br />आपने ग़ज़ल पसंद की … मेरा सौभाग्य !<br /><br /><br />आभार और शुभकामनाएं !Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-90458952045771882062012-07-04T11:58:31.771+05:302012-07-04T11:58:31.771+05:30# आदरणीया दीपिका रानी जी
अच्छा ! आप भी मेरे सृजन...# <b>आदरणीया दीपिका रानी जी </b> <br />अच्छा ! आप भी मेरे सृजन से परिचित हैं …<br /><br />यह ग़ज़ल आपको पसंद आई , लेखनी धन्य हुई <br />बहुत बहुत आभार !Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18299428484790906542012-07-04T11:57:10.541+05:302012-07-04T11:57:10.541+05:30# आदरणीय समीर जी
आपके स्नेह का भी जवाब नहीं …
:)...# <b>आदरणीय समीर जी </b> <br />आपके स्नेह का भी जवाब नहीं …<br />:)<br /><br />अंतःस्थल से आभार !Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-29677004554997560682012-07-04T11:56:21.638+05:302012-07-04T11:56:21.638+05:30# सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी
मैं नहीं जानता था कि ...# <b> सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी</b> <br />मैं नहीं जानता था कि मेरी रचनाओं को आप इतना पसंद करते हैं …<br />यानी मेरे ब्लॉग <b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />शस्वरं</a></b> पर आते रहते हैं आप ! <br /><br />बहुत बहुत आभार मेरी रचनाएं पढ़ने-सराहने के लिए !!Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-30765961362958532652012-07-04T11:55:38.539+05:302012-07-04T11:55:38.539+05:30# धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी
लेखन ही नहीं , मैं मे...# <b> धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी</b> <br />लेखन ही नहीं , मैं मेरा हर काम मेहनत और दिलचस्पी से करता हूं …<br />क्योंकि कुछ भी स्वयं की संतुष्टि के लिए ही करना होता है , किसी के दबाव से तो नहीं :)<br />फिर मेहनत में कमी क्यों ?<br /><br />ग़ज़ल पसंद करने के लिए बहुत बहुत आभार !Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-45358454027146192622012-07-04T11:54:29.301+05:302012-07-04T11:54:29.301+05:30:)
दिन भर स्पैम से टिप्पणियां निकालना …
किसके हिस्...:)<br />दिन भर स्पैम से टिप्पणियां निकालना …<br />किसके हिस्से में क्या काम आना चाहिए , गूगल बाबा को इतना सलीका कहां !<br /><br />आभार !<br />( क्षमा करें , दो दिन अति व्यस्तता रहने से अब यहां आ पाया हूं … )Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-73452380268995481322012-07-03T20:22:44.209+05:302012-07-03T20:22:44.209+05:30व्यस्तता के बावजूद, राजेंद्र जी के खिलाये इस सुन्द...व्यस्तता के बावजूद, राजेंद्र जी के खिलाये इस सुन्दर पुष्प से मकरंद चुरा कर मज़ा लेने और आभार व्यक्त करने का लोभसंवरण नहीं कर पाया। <br />वाह! राजेंद्र जी! वाह!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-81927847567292268062012-07-02T22:54:59.297+05:302012-07-02T22:54:59.297+05:30RAJENDRA SWARNKAR VAKAEE SWARNKAR HAIN . UNKEE GAZ...RAJENDRA SWARNKAR VAKAEE SWARNKAR HAIN . UNKEE GAZAL MEIN SWARN KEE SEE <br />CHAMAK HAI . SUBEER JI , UNKEE GAZAL PADH KAR AANANDIT HO GAYAA HUN . <br />SHABDON AUR BHAAVON KEE AESEE MITHAAS ANYATR DURLABH HAI .pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-16012754625355439402012-07-02T20:23:45.361+05:302012-07-02T20:23:45.361+05:30पंकज भाई और मेरे सर से तो अक्ल बिना रोक-टोक बाहर ...पंकज भाई और मेरे सर से तो अक्ल बिना रोक-टोक बाहर हो गयी है यह स्पष्ट है। <br />जब कोई किसी विषय पर समस्त ज्ञान रखने का भ्रम पाल ले तो एक हास्यास्पद स्थिति यह पैदा होती है कि इस बेचारे को तो यह भी नहीं पता कि ज्ञान का सागर कितना विशाल है। ज्ञान कम हो लेकिन पुष्ट होना चाहिये, अधकचरा वृहद् ज्ञान िशायद ही कभी हितकर सिद्ध हुआ हो।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-56348299768515967682012-07-02T16:16:05.695+05:302012-07-02T16:16:05.695+05:30राजेंद्र जी ने बहुत खूब शेर निकालें हैं. बधाई.राजेंद्र जी ने बहुत खूब शेर निकालें हैं. बधाई.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55114270251137726812012-07-02T15:47:06.021+05:302012-07-02T15:47:06.021+05:30हा हा हा दीदी ये बात तो आनंद दे गई 'दोनों भाई ...हा हा हा दीदी ये बात तो आनंद दे गई 'दोनों भाई बहन के पास अक्ल नहीं है 'पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17454619274934909232012-07-02T15:05:08.848+05:302012-07-02T15:05:08.848+05:30तुम्हारे मित्र ने सही कहा है पंकज ,,यहाँ ICSE बोर्...तुम्हारे मित्र ने सही कहा है पंकज ,,यहाँ ICSE बोर्ड का स्कूल है "शारदा मंदिर” वहाँ जो पुस्तकें <br />कक्षा १ में prescribed हैं उन के हिंदी पाठ्यक्रम की वर्णमाला में ये सारे अक्षर सम्मिलित किये गए हैं <br /><br />लेकिन एक समस्या और आती है कि हम वर्णों का भी ग़लत उच्चारण करते हैं जैसे फूल = phool ये शब्द फूल न रहकर फ़ूल=fool उच्चारित किया जाने लगा है और दु:ख का विषय ये है कि पढ़े लिखे लोग भी इस का इस्तेमाल कर रहे हैं अब यदि अध्यापक/ अध्यापिका ने ये पढ़ाया हो तो बच्चे को हम ये कैसे समझाएं कि फ़व्वारे में नुक़्ता लगेगा <br /><br />और हाँ यदि तुम और तुम्हारे जैसे लोग मूढ़मति होंगे तो मैं बुद्धिहीन हूँ ,,अब आगे किसी और संज्ञा का प्रयोग न करना वर्ना लोग टिप्पणी देना बंद कर देंगे कि जब दोनों भाई बहन के पास अक़्ल ही नहीं है तो क्या कमेंट करें :):)इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82706499749342319522012-07-02T11:02:10.853+05:302012-07-02T11:02:10.853+05:30एक निहायत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए राजेंद्र जी को ढेर...एक निहायत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए राजेंद्र जी को ढेरों बधाईयाँ.मुशायरे के इस अंक में गुरुजन टिप्पणियों के माध्यम से जिस प्रकार की सार्थक चर्चा को आगे बढ़ा रहे हैं वह हमारे जैसे नए लोगों के लिए अनमोल है.सौरभ शेखर https://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37631575800007354292012-07-02T09:53:44.953+05:302012-07-02T09:53:44.953+05:30बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल... राजेंद्र स्वर्णकार जी की ...बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल... राजेंद्र स्वर्णकार जी की अपनी छाप है इस ग़ज़ल पर.. बधाई इस सुंदर सृजन के लिएदीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.com