tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post254451328587991482..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: कल से शुरू हो जायेगा दीप पर्व आइये सबके लिये मंगल कामनाएं करें । और मंगल कामनाओं के स्वर में स्वर मिला रहे हैं श्री शाहिद मिर्ज़ा शाहिद, गौतम राजरिशी और अंकित सफ़र ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-11563444952365071692011-10-26T08:03:13.811+05:302011-10-26T08:03:13.811+05:30हर्फ़ ब हर्फ़ - गौतम भाई - उस के अलावा कोइ और भी हो ...हर्फ़ ब हर्फ़ - गौतम भाई - उस के अलावा कोइ और भी हो तो बता देना, हम किसी से कहेंगे नहीं|:)<br />सुबीर जी के प्रिय शिष्य होने को सही साबित किया है इस बार भी आपने| इस ग़ज़ल की सादा बयानी तो जैसे सर चढ़ के बोल रही है|<br />बूढ़े ख़्वाबों के सिलसिले - एक बारगी तो लगा गौतम बुढा गए का? और जब इस शेर की गहराई में झांका तो अवाक रह गया|<br />आज समस्या पूर्ति की पोस्ट के अलावा एक साथ बहुत सारी टिप्पणियाँ भी करनी हैं, नहीं तो इस ग़ज़ल पर बहुत कुछ लिखना चाह रहा था| कभी तुमसे बात हुई तो उस वक़्त तसल्ली से बतियाऊंगा इस के बारे में<br />बहरहाल, इस जबरदस्त मस्त मस्त ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई और आपको सपरिवार दीपावली की शुभ कामनायें|<br /><br />आ. योगराज प्रभाकर जी ने सही कहा था उस समय - शाहिद भाई शायरी जीते हैं| शुरू से आखिर तक चुस्त राद्दीफों की बुनावट समेटे बहुत ही उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई शाहिद भाई| आप को सपरिवार दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें|<br /><br />शायद इस से बड़ा अजूबा और क्या होगा कि मैं और अंकित एक ही शहर में रहने के बावजूद आज तक मिलना तो क्या फोन पर बात भी नहीं कर पाए हैं| अंकित भाई मेरा फोन ब्लॉग और फेसबुक दोनों जगह अवेलेबल है, कभी इस बड़े भाई को याद करिएगा| पंकज जी के अलावा नीरज भाई भी अक्सर आप के बारे में कहते रहते हैं और हम पढ़ भी चुके हैं आप के खूबसूरत शेरों को| जूनिअर गुलज़ार वाली पंकज भाई की बात से मैं भी इत्तेफाक रखता हूँ| इस खुबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ, आप को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-43548580531744506252011-10-25T11:56:44.405+05:302011-10-25T11:56:44.405+05:30शाहिद जी की अशआर की क्या तारीफ की जाये.... "य...शाहिद जी की अशआर की क्या तारीफ की जाये.... "ये खामोशी का शोर कैसा" वाला शेर जितनी दाद दूँ कम है...<br /><br />नीरज जी, जाने कब खपौली आने का मौका मिलेगा और आपके दर्शन का सौभाग्य....18 को तो राकेश ख्न्डेलवाल जी ने बराबर बराबर बाँट दिया ही है हमदोनों के बीच.... तो अब हम 9 के हैं| :-)<br /><br />शार्दुला दी, और आपके प्यारेलाल को आपकी तारीफ का इंतजार रहता है हमेशा| <br /><br />सौरभ पाण्डेय जी और सौरभ जी.... इतनी तारीफ के लिए शुक्रिया कम पड़ रहा है |गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-12633799074144847442011-10-24T22:47:12.402+05:302011-10-24T22:47:12.402+05:30patrika ki shuruaat ke liye bahut bahut bdhai........patrika ki shuruaat ke liye bahut bahut bdhai.....gazalon ke is karvaan me chal kar bahut achchha lga .... deepawali ki hardik shubhkamnayen....सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86950854194438489002011-10-24T17:02:29.266+05:302011-10-24T17:02:29.266+05:30तीनों शाइर एक उम्मीद भरा समुच्चय बना रहे हैं और सभ...तीनों शाइर एक उम्मीद भरा समुच्चय बना रहे हैं और सभी शाइर अपने खुसूसी अंदाज़ में हैं. <br /><br />गौतमजी को पढ़ना एक तरह से उपलब्ध हुआ अवसर है. आपने बहुत प्रभावित किया है. वयस विशेष जो अक्सर अनदेखा निकला जाता है आपकी मुलायम छुअन से सिहर-सिहर गया दीखता है. बधाई.<br /><br />शाहिदभाई की आशावादिता ने मोह लिया और उनके मतले की दुआ कुबूल हो. <br />खामोशी के शोर का ज़िक्र हो या चौकस रहने को खबरदार करना, आपने हर तरह से हमारे मन को आबाद किया है. बहुत खूब !<br /><br />अंकित सफ़र... इस नाम को पहली दफ़ा सुन रहा हूँ और एक-एक शे’र ने मुझे प्रभावित किया है. वयस के इस दौर में नैराश्य की रेख व्यवहार की ज़मीन पर खूबसूरत काशीदाकारी लगती है. सभी गुजरते हैं. किसी एक शे’र का नाम नहीं लूँगा. हर शे’र ने उम्मीद बढ़ायी है. अंकित की बारिकियों को मेरी विशेष बधाई.<br /><br />दीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ. <br /><br />--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-29002454705306763752011-10-24T15:26:41.530+05:302011-10-24T15:26:41.530+05:30मेरी कुछ तुकबंदियों पर मिले आप सभी के प्यार और आशी...मेरी कुछ तुकबंदियों पर मिले आप सभी के प्यार और आशीर्वाद के लिए तहे दिल से आभारी हूँ. वैसे ग़ज़ल के शेर इस लायक है नहीं जितने आपने सर आँखों पे रख लिए.<br /><br />ये चार मिसरे बड़े भाई गौतम राजरिशी जी को -<br /><br />तेरे हाथों का "लम्स" पाते ही,<br />एक सिहरन जगे जगे हर सूँ.<br />मेरे स्वेटर की इस बुनावट में,<br />प्यार के धागे हैं लगे हर सूँ.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-89273570610757336462011-10-24T15:21:32.605+05:302011-10-24T15:21:32.605+05:30जनाब लम्स राजरिशी जी सलाम,
"तू है, बस तू ही त...जनाब लम्स राजरिशी जी सलाम,<br />"तू है, बस तू ही तो है...........", उफ्फ्फ, शेर कई मानी में उभर के सामने आ रहा है. बहुत खूब<br />"तू ये माने न माने........", उला का "पर मेरा" क्या खूब सानी से जोड़ा है. बहुत पेचीदा गिरह लगाई है उला और सानी में. इसे कहते हैं ज़हर.<br />"अब भी तुझसे लिपट के ......" वाह वा, कमाल है. "बूढ़े ख़्वाबों के............". लाजवाब शेर<br />मेरे हिसाब से हासिल-ए-ग़ज़ल शेर है,<br /><br />उम्र के इस ढ़लान पर अब क्यों<br /><br />ज़िंदगी ढूँढती तुझे हर सू<br />जिंदाबाद जिंदाबाद<br />"चंद सुलगे हुए वो लम्स तेरे ...................", अहा खतरनाक शेर.<br />मज़ा आ गया, बेहतरीन शेर निकाले हैं.<br />वधाइयां जी वधाइयांAnkithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13356814934628865632011-10-24T12:16:21.737+05:302011-10-24T12:16:21.737+05:30शाहिद मिर्ज़ा जी, बहुत खूब शेर कहें हैं.
अमन-भाईचार...शाहिद मिर्ज़ा जी, बहुत खूब शेर कहें हैं.<br />अमन-भाईचारे का सन्देश देता हुआ मतला खूबसूरत बना है. गिरह बहुत अच्छी बाँधी है.<br />"ये खमोशी का शोर कैसा है.........." वाह वा. कमाल का शेर बना है.<br />"चौकसी सबकी ज़िम्मेदारी है................" वाह, क्या खूबसूरत अंदाज़ में बात कही है.<br />"तेरी चाहत तेरी तमन्ना में....", जिंदाबाद शेर<br />"सच दिखाने के शौक ................", लाजवाब मक्ता बुना है.<br />हर शेर बहुत करीने से गढ़ा है, पूरी ग़ज़ल लाजवाब बनी है.<br />ढेरों दाद क़ुबूल करें सर.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-50568343655984621882011-10-24T10:11:26.536+05:302011-10-24T10:11:26.536+05:30निःशब्द हुं. आज की गजलें सुन.
उस्ताद शायरों की त...निःशब्द हुं. आज की गजलें सुन. <br /><br />उस्ताद शायरों की तिकरी है बस दिल से वाह और आह निकलती है.<br /><br />गौतम जी, अंकित जी, शाहिद जी <br />आप को बहुत बहुत बधाई!!! <br /><br />दीप पर्व की शुभकामनाएं !!!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-62281154108678524722011-10-24T07:21:46.930+05:302011-10-24T07:21:46.930+05:30आमीन!
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प्यारेलाल की ग़ज़ल का हमेशा इंतज़ार रहता ...आमीन! <br />----<br />प्यारेलाल की ग़ज़ल का हमेशा इंतज़ार रहता है आपकी तरही में. उनका ये शेर बहुत खूबसूरत लगा, "उम्र की इस ढलान पर..." .<br />"शेर जब गुनगुनाये..." का ख्याल "दीप जल उठे..." के साथ बंधना ..सुन्दर!<br />"चन्द सुलगे हुए वो लम्स तेरे... " ये बहुत ग्राफिक सा शेर, नज़ाकत भरा!<br />ग़ज़ल का मतला और पहले के दोनों शेर इतने गुथे हुए इक-दूजे में कि जैसे कोई गीत हो!<br />"कौन है किसके वास्ते ... " पढ़ते हुए मुझे लगा कि ये दार्शनिक सी ग़ज़ल लिखी है भाई ने, पर मिसरा सानी पढ़ते ही मुस्कुरा उठी कि नहीं ये तो रूमानी ग़ज़ल है!<br />सो प्यारेलाल, आपको और संजीता भाभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...:)<br />सुन्दर ग़ज़ल हुई है!<br />---<br />शाहिद जी की ग़ज़ल में एक सहजता का अहसास हुआ जैसे कि मन की बात कहते-कहते, अनायास, बिना प्रयास ये सुन्दर सी ग़ज़ल हो गई हो.<br />यूँ तो मुझे उनके सारे शेर बहुत ही सुन्दर और गहरे लगे, पर ये तीन तो जैसे सुभान-अल्लाह!<br />--- "तेरी चाहत, मेरी तमन्ना...", "सच दिखाने के शौक...", "चौकसी सबकी ज़िम्मेदारी...".<br />अब "ये खामोशी का शोर..." भी छोड़ा नहीं जा रहा! <br />आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए !<br />----<br />अंकित को पढ़ के हमेशा ख़ुशी मिलती है...इस बार भी.<br />"सुब्ह बुनने की कोशिशों..." वाह क्या बात है! ये रूमानी और सामाजिक सरोकार रखता हुआ...दोनों तरह का शेर!<br />"आपने दिल से..." इतना प्यारा लगा कि क्या कहें! इसे चुरा के ले जा सकते हैं क्या?? ...अगर अभी तक किसी ने नहीं चुराया हो तो :)<br />"रात टूटी हज़ार ..." बहुत असरदार!<br />"चोट खाया हुआ मुसाफिर..." इस शेर के लिए सीट पे से उठ के नमस्ते अंकित!<br />शाबाश! यूँ ही लिखते रहिये!<br />सादर ...Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-9318215847355791802011-10-24T00:16:08.738+05:302011-10-24T00:16:08.738+05:30तीनों गज़लें खूबसूरत. कोई एक शेर ऐसा नहीं जिसे छाँट...तीनों गज़लें खूबसूरत. कोई एक शेर ऐसा नहीं जिसे छाँटा जाये. अंकित अय्र गौतम तो हमेशा प्रभावशाली रहे हैं . मिर्ज़ाजी का अन्दाज़ खूब पसन्द आया.<br /><br />नीरज भाई- अडम्स ने ९ आपके लिये और ९ गौतम के लिये मुकर्रर किये हैं. यानी कि दोनों मिल कर १८<br /><br />शुभकामनायेंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-14014993564773665662011-10-23T23:16:39.683+05:302011-10-23T23:16:39.683+05:30गुरुदेव,
अब हर पोस्ट के साथ गज़ल का इंतज़ार तो रहता...गुरुदेव,<br /><br />अब हर पोस्ट के साथ गज़ल का इंतज़ार तो रहता ही है पर अब उनसे ज्यादा आपकी प्रस्तुति और अदभुद कारीगरी का इंतज़ार रहने लगा है <br /><br />>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>><br />लम्स भैया,<br /><br />सारे शेर बढ़िया, खूब पसंद आये मगर इन दो की बात ही निराली है <br /><br />शेर जब गुनगुनाये उसने मेरे<br />'दीप खुशियों के जल उठे हर सू'<br /><br />चंद सुलगे हुये वो ''लम्स'' तेरे<br />रौशनी कैसी कर गए हर सू<br />>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>><br />शाहिद जी,<br /><br />आपकी ग़ज़ल ने मतला से मकता तक आनंद विभोर कर दिया, हर एक शेर में शब्दों को खूबसूरती से पिरोया गया है <br />यह शेर खास पसंद आये ==<br /><br />बज़्मे-अम्नो-अमां सजे हर सू<br />भाईचारा सदा मिले हर सू<br /><br />चौकसी सबकी ज़िम्मेदारी है<br />आँख हरदम खुली रहे हर सू<br /><br />तेरी चाहत तेरी तमन्ना में<br />उम्र भर बेसबब फिरे हर सू<br /><br />सच दिखाने के शौक़ में ’शाहिद ’<br />टूट जाते हैं आईने हर सू<br /><br />>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>><br /><br />सफ़र भाई,<br /><br />जिस गज़ल के लिए गुरुदेव ने गुलज़ार साहब का नाम ले लिया हो उसके बाद कहने को और क्या बचता है,, पूरी ग़ज़ल मखमली एह्साह से गुजारती है, बहुत प्यारी ग़ज़ल कही है, दिली दाद और हार्दिक बधाई कबूल करें <br />जो शेर खास पसंद आये वो हैं,,<br /><br />सुब्ह बुनने की कोशिशों में हम<br />ढूंढते रात के सिरे हर सू<br /><br />रात टूटी हज़ार लम्हों में<br />ख़्वाब सारे बिखेर के हर सू<br /><br />तीरगी ग़म की जब भी छाने लगी<br />'दीप खुशियों के जल उठे हर सू'<br /><br />इस शेर के लिए अलग से पुनः बधाई,, खूब पसंद आया <br /><br />चोट खाया हुआ मुसाफिर हूँ<br />साथ चलते हैं मशविरे हर सूवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-65496472317585502262011-10-23T23:07:06.036+05:302011-10-23T23:07:06.036+05:30गौतम ब्रायन अडेम्स ने ये पंक्तियाँ मेरे लिए कहीं थ...गौतम ब्रायन अडेम्स ने ये पंक्तियाँ मेरे लिए कहीं थीं...तुमने अपने लिए समझ लीं...गलत बात :-) , चलो कोई बात नहीं...अब से ये पंक्तियाँ हम दोनों के लिए हुईं...दीपावली की शुबकामनाएं स्वीकार करो, और कभी खोपोली का रुख करो...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-22359339945194566062011-10-23T23:00:43.157+05:302011-10-23T23:00:43.157+05:30I'm gonna be 18 till I die - 18 till I die
जय...I'm gonna be 18 till I die - 18 till I die<br /><br />जय होवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-37634119596994196692011-10-23T22:56:40.423+05:302011-10-23T22:56:40.423+05:30मेरे अदने शेरों की इतनी तारीफ का शुक्रिया सबको.......मेरे अदने शेरों की इतनी तारीफ का शुक्रिया सबको.... दिल से !<br /><br />अनुजा, <br />वैसे अपना एन्थेम है ब्रायन एडम्स का 18 till i die....सुनना कभी| दो लाइन सुनाओ यहीं पे क्या? ओके, सुनो :- <br />I wanna be young the rest of my life...never say no - try anything twice<br />till the angels come and ask me to fly....I'm gonna be 18 till I die - 18 till I dieगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-42119994460331224232011-10-23T22:38:21.868+05:302011-10-23T22:38:21.868+05:30शानदार पोस्ट। सभी को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाए...शानदार पोस्ट। सभी को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ। गौतम राजरिशी और शाहिद भाई की ग़ज़लें तो खूब पढ़ी हैं..दोनो अच्छे शायर हैं पर आज विशष रूप से अंकित भाई को बधाई देना चाहता हूँ। हद उम्दा लगी उनकी पूरी ग़ज़ल।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-133379281357448772011-10-23T22:34:25.340+05:302011-10-23T22:34:25.340+05:30एक से बढ़कर एक शेर लेकिन इन अश'आर में बात कुछ ...एक से बढ़कर एक शेर लेकिन इन अश'आर में बात कुछ और ही है:<br /><br />कौन है, किसके वास्ते हर सू<br />इक कहानी हवा कहे हर सू <br /><br />तू है, बस तू ही तो है हर्फ़ ब हर्फ़<br />जिसका अफ़साना है मेरे हर सू <br /><br />तू ये माने न माने, पर मेरा<br />है तेरे ही तेरे लिए हर सू <br /><br />अब भी तुझसे लिपट के रोते हैं<br />बूढ़े ख्वाबों के सिलसिले हर सू<br /><br />उम्र के इस ढ़लान पर अब क्यों<br />ज़िंदगी ढूँढती तुझे हर सू<br /><br />चंद सुलगे हुये वो ''लम्स'' तेरे <br />रौशनी कैसी कर गए हर सू<br /><br />बज़्मे-अम्नो-अमां सजे हर सू <br />भाईचारा सदा मिले हर सू <br /><br />सैर करके चमन की झोंके भी <br />बू-ए-गुल ले के छा गए हर सू <br /><br />ये खमोशी का शोर कैसा है <br />बात हक़ है तो फिर चले हर सू <br /><br />चौकसी सबकी ज़िम्मेदारी है <br />आँख हरदम खुली रहे हर सू <br /><br />तेरी चाहत तेरी तमन्ना में <br />उम्र भर बेसबब फिरे हर सू <br /><br />सच दिखाने के शौक़ में ’शाहिद ’ <br />टूट जाते हैं आईने हर सू<br /><br />और <br />आप को आप ही मिले हर सू<br />ज़िन्दगी को तलाश के हर सू<br /><br />सुब्ह बुनने की कोशिशें करते <br />ढूंढते रात के सिरे हर सू<br /><br />आप ने दिल से कह दिया है क्या?<br />धडकनें भागती फिरे हर सू<br /><br />रात टूटी हज़ार लम्हों में<br />ख़्वाब सारे बिखेर के हर सू<br /><br />चाँद को गौर से जो देखा तो<br />जुगनुओं के लिबास थे हर सू<br /><br />चोट खाया हुआ मुसाफिर हूँ<br />साथ चलते हैं मशविरे हर सू<br /><br />तीरगी ग़म की जब भी छाने लगी<br />''दीप खुशियों के जल उठे हर सू''<br /><br />ये हर सू बहुत टेढ़ी चीज है लेकिन 'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती' (स्व. बच्चन जी की पंक्तियॉं जिनहें कंठस्थ हों उनके लिये नहीं)तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-78765048153326614922011-10-23T22:00:44.030+05:302011-10-23T22:00:44.030+05:30गौतम भईया के दो शेरों से एक बात तो ये स्पष्ट हुई क...गौतम भईया के दो शेरों से एक बात तो ये स्पष्ट हुई कि खूद को बूढ़ा आखिर मानने ही लगे हुज़ूर, वर्ना जिस तरह की दिलफेंक गिरी चल रही थी, मुझे तो लग रहा था कि खूद को १८ से ऊपर समझते ही नही भाई जान और दूसरी बात ये कि लम्स राजरिशी का लम्स पता नही क्यों हर बार मुझे भी बहुत अच्छा लग जा ता है।<br /><br />मेरे दोनो प्रिय भाईयों के स्नेह को ताक़ पर रखते हुए मुझे कहता पड़ रहा है कि शाहिद जी के कुछ शेर मुझे बहुत ही अच्छे लगे।<br /><br />ये खमोशी का शोर कैसा है,<br />बात हक़ है, तो फिर चले हर सू।<br /><br />चौकसी सबकी जिम्मेदारी है,<br />आँख सबकी खुली रहे हर सू।<br /><br />सच दिखाने के शौक़ में शाहिद,<br />टूट जाते हैं आइने हर सू।<br /><br />आखिरी शेर जैसे मेरे मन की बात हो....<br /><br />और बम्बई का बाबू<br /><br />रात टूटी हज़ार लम्हों में,<br />ख्वाब के बिखेर के हर सू।<br /><br />तुम्हारी तरही का सिरमौर.....कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-86249936750312700952011-10-23T19:53:17.693+05:302011-10-23T19:53:17.693+05:30ॐ
श्री शाहिद मिर्ज़ा शाहिद, गौतम राजरिशी और अंकित...ॐ <br />श्री शाहिद मिर्ज़ा शाहिद, गौतम राजरिशी और अंकित सफ़र जी की दीपावली के लिए <br />लिखी गयीं सुंदर , क्लासिक और भावपूर्ण रचनाएं पढने की खुशी है और आप जो ब्लॉग पोस्ट <br />के संग चित्र और भूमिका लिख रहे हैं वे हरेक कामयाब रचनाकार को एक बेहतरीन आगाज़ से नवाज रहा है गुणी अनुज श्री पंकज भाई अत: आपको बधाई तथा आज के तीनों <br />भाईयों से सुनी दीपावली की तरही की पेशकश के लिए , उन्हें बहुत बहुत बधाई व् समस्त <br />परिवार जनों को मेरे दीप पर्व पे स्नेह भरे वंदन ! <br />स स्नेह ,<br />- लावन्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-43308919475743351172011-10-23T18:36:50.881+05:302011-10-23T18:36:50.881+05:30Deepawali kee bahut hi sundar jabardast prastuti h...Deepawali kee bahut hi sundar jabardast prastuti hetu dhnayavaad.<br />Deepawali kee aapko bhi spariwar haardik shubhkamnayen!!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-77835263810742994902011-10-23T17:36:35.121+05:302011-10-23T17:36:35.121+05:30पंकज जी आप की इन पुर ख़ुलूस दुआओं में हम भी आप के ...पंकज जी आप की इन पुर ख़ुलूस दुआओं में हम भी आप के साथ हैं (आमीन)<br /><br />गौतम हमेशा की तरह उम्दा ग़ज़ल,,और मेरे नज़रिये से हासिल ए ग़ज़ल शेर<br />उम्र की इस ढलान पर अब क्यों<br />जिंदगी ढूंढती तुझे हर सू."<br /><br />शाहिद साहब की ग़ज़ल की शुरुआत ही बेहद ख़ूबसूरत शेर से हुई<br />तेरी चाहत ,तेरी तमन्ना में .............<br />बेहद ख़ूबसूरत और नाज़ुक शेर <br />चौकसी सब की...........<br />समाज को पैग़ाम देता हुआ उम्दा शेर <br /><br />सुबह बुनने की कोशिशों .......<br />अंकित बहुत उम्दा ख़्याल को शेर का जामा पहना दिया तुम ने ,हासिल ए ग़ज़ल शेर <br />बहुत ख़ूब !!इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-57323439272489873962011-10-23T12:55:41.343+05:302011-10-23T12:55:41.343+05:30समझदार लोग कहते हैं जब होश हवास गुम हो जाएँ तब चुप...समझदार लोग कहते हैं जब होश हवास गुम हो जाएँ तब चुप रहना सर्व श्रेष्ठ रहता है...तारीफ़ का कोई ऐसा लफ्ज़ ज़ेहन में नहीं आ रहा जो इन तीन तिलंगों की ग़ज़लों के लिए मुफीद बैठे...सभी लफ्ज़ बौने से नज़र आ रहे हैं...ये तीनों आने वाले दिनों में उर्दू शायरी का परचम थामने वाले इंसानों में से हैं...इनका कहन इनकी सोच इनका अंदाज़..."उफ़!!! यूँ माँ "टाइप का है...ये तीनों लफ़्ज़ों के जादूगर हैं...जिस तरह जादूगर अपने सामान को झोले से निकल कर लोगों को चकित कर देता है ठीक वैसे ही ये अपने झोले में पड़े लफ़्ज़ों से ऐसा खेल रचाते हैं के देखने सुनने और पढने वाले अपनी उँगलियाँ दाँतों तले दबा दबा कर चबा डालते हैं... तीनों मुझे वैसे भी बहुत प्रिय हैं...इनमें से दो से यूँ तो अभी रूबरू होना बाकी है लेकिन लगता है जैसे न जाने उनसे कितनी बार मिल चुका हूँ...तरही में पेश इन ग़ज़लों में से किसी एक या एक से ज्यादा शेर को या फिर इन में से किसी एक नाम को जान बूझ कर ज़ाहिर नहीं कर रहा क्यूँ की मुझे इनके स्तर में कोई फर्क नज़र आये तो अलग से बताऊँ भी...दुआ करता हूँ ऊपर वाला इनकी कलम से ऐसे अशआर लगातार बरसता रहे. <br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-26361493309875559932011-10-23T12:04:56.215+05:302011-10-23T12:04:56.215+05:30और अब गज़लों की बात ...
तो कर्नल साहब इस बार भी ह...और अब गज़लों की बात ... <br />तो कर्नल साहब इस बार भी हमेशा की तरह छा गए ...मैंने तो पहले समझा की उन्होंने तखल्लुस ही रख लिया पर अच्छा हुवा आपने क्लेरिफाई कर दिया ... <br />उनके शेरों की ताजगी कमाल है ... तू है, बस तू ही तो ... या तू ये माने न माने ... तेरी खातिर ये शेर ... या फिर ... शेर जब गुनगुनाये ... बहुत ही रोमेंटिक ... प्रेम में डूब के लिखे शेर हैं ... और उम्र के इस ढलान पर अब क्यों ... सीधे दिल में उतर गया ... लाजवाब गौतम जी सिम्पली ग्रेट ....<br />शाहिद साहब आपके भाईचारे के जज्बे को सलाम है मेरा ... मतले में ही दीपावली का गहरा सन्देश दे दिया आपने तो ... चोकसी सबकी जिम्मेदारी है ... सच कहा है निर्माण में सब की अपनी अपनी ड्यूटी है और सब का हक है ... और आखिर वाला शेर ... सच दिखाने के शौंक में शाहिद ... बहुत ही दार्शनिक अंदाज़ का शेर है .. इस लाजवाब गज़ल के लिए बधाई ...<br />अंकित जी ... सुबह बुनने की कोशिश में हम .. ये दर्शन लिए शेर ... आपकी उम्र और गहरी सोच को सोच कर चकित हूँ ... बहुत गहरा सोच लेते हैं आप ... रात टूटी हज़ार लम्हों में ... चाँद को गौर से जो देखा तो ... गुरुदेव ने सही कहा आपको भी चाँद और रात से इश्क हो गया है ... <br />तीनो ग़ज़लें नयी ऊंचाइयों को छू रही हैं ... और ये मुशायरा नया मुकाम ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-50300080514532765282011-10-23T11:47:35.064+05:302011-10-23T11:47:35.064+05:30गज़लों से पहले जो आप ज्ञान की सरिता बहाते हैं अब त...गज़लों से पहले जो आप ज्ञान की सरिता बहाते हैं अब तो उसका भी इन्तेज़ार रहने लगा है ... ये सच है रौशनी खोती जा रही है ... या कम पड़ रही है ... हालांकि दिवाली की चमक बडती जा रही है ... काश ये दिवाली मन को रोशन करे इस बार ... आमीन ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-55587340973129600612011-10-23T11:01:13.496+05:302011-10-23T11:01:13.496+05:30छा गए तीनों शायर, एक से बढ़कर एक शेर कहे हैं तीनों ...छा गए तीनों शायर, एक से बढ़कर एक शेर कहे हैं तीनों ने। <br />अब भी तुझसे लिपटे के.... से जो हवा चली है तो उम्र के स ढलान से.. होती हुई चंद सुलगे...के साथ उड़ा ले गई है। बहुत बहुत बधाई गौतम जी को इस शानदार ग़ज़ल के लिए।<br />शाहिद जी का मकता तो दिल चीर गया, पूरी ग़ज़ल ही शानदार है बहुत बहुत बधाई उन्हें इस ग़ज़ल के लिए।<br />अंकित जी के प्रयोगों की तो बात ही निराली है। हर शे’र एक अलग छाप छोड़ रहा है। बहुत बहुत बधाई उन्हें शानदार ग़ज़ल के लिए‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-29461368028720208382011-10-23T10:56:56.926+05:302011-10-23T10:56:56.926+05:30सुबीर जी आज आपने मुशायरे में सचमुच के "चार चा...सुबीर जी आज आपने मुशायरे में सचमुच के "चार चाँद" लगा दिए हैं| चार में से तीन तो ये बेनजीर ग़ज़लें हैं और चौथा चाँद हमेशा की तरह आपकी प्रस्तुति का अनूठा अंदाज़ है|<br /><br /> <br /><br />गौतम जी की ग़ज़लें तो पहले भी उनकी अदभुद कल्पनाशीलता और प्रतिभा से चमत्कृत करती थीं,लेकिन ऐसे मुश्किल मिसरे पर इतने तरन्नुम और इस मौशिकी से ग़ज़ल कोई आला फनकार ही कह सकता है|कौन सा शेर कोट करें....|<br /><br />अलबत्ता थोड़ी खुदगर्जी दिखानी चाहिए|पूरी ग़ज़ल ही डायरी में नोट कर इसका रसपान करते रहिये| वैसे मुदित होने के लिए यही बात काफी है कि हमारे बज़्म में मौजूदा समय के सबसे बड़े शायरों में से एक मौजूद है| <br /><br /> <br /><br />मिर्ज़ा साहब की ग़ज़ल भी अब तक की सभी ग़ज़लों से जुदा है|ग़ज़ल जिसे क्लासिकल या खालिस कहतें हैं|खास कर उनके मकते ने झकझोड़ कर रख दिया|<br /><br /><br /><br />अंकित भाई अपनी तस्वीर से बहुत युवा जान पड़ते हैं|लेकिन उनकी ग़ज़ल यह भ्रम टिकने नहीं देती|कैसे मखमली अशार निकाले हैंआपने| "सुब्ह बुनने की कोशिशों में...." जैसे शेर कहना आसान काम नही है|और यही शेर क्यों बाकी के सारे शेर भी क्या कम ख़ूबसूरत हैं| अंकित भाई सच कह रहा हूँ आपने इस ग़ज़ल से बहुत उम्मीदें जगा दी हैं|सौरभ शेखर https://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.com