tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post2105881758289060638..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: मुशायरा आज से शुरू कर रहे हैं, क्योंकि ग़ज़लें अधिकांश कल ही प्राप्त हुई हैं। तो आइये आज से हम ईद मनाना शुरू करते हैं यहाँ। और आज दिगंबर नासव तथा नुसरत मेहदी जी की ग़ज़लों के साथ मनाते हैं ईद।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-48789671441102384862017-07-01T15:45:27.123+05:302017-07-01T15:45:27.123+05:30बहुत ही सुन्दर ग़ज़लें हैं दोनों। बहुत बहुत बधाईबहुत ही सुन्दर ग़ज़लें हैं दोनों। बहुत बहुत बधाईsumitra sharmahttps://www.blogger.com/profile/06920582662410472091noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-24665805716211293662017-06-30T15:25:02.795+05:302017-06-30T15:25:02.795+05:30बहुत सुंदर ग़ज़लें दोनों ही। बहुत बहुत बधाईबहुत सुंदर ग़ज़लें दोनों ही। बहुत बहुत बधाईsumitra sharmahttps://www.blogger.com/profile/06920582662410472091noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-54260076725265387892017-06-28T19:56:54.438+05:302017-06-28T19:56:54.438+05:30आदरणीय दिगम्बर जी ने भी हमेशा कि तरह बहुत बढ़िया ग़...आदरणीय दिगम्बर जी ने भी हमेशा कि तरह बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है..बहुत ही असरदार मतले से शुरू होती हुई सारी ग़ज़ल ही अपनी छाप छोड़ रही है..वाह बहुत खूब gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23773009478454958572017-06-28T19:53:24.269+05:302017-06-28T19:53:24.269+05:30वाह वाह और वाह...क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है नुसरत...वाह वाह और वाह...क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है नुसरत जी ने... वाकई कमाल कर दिया हौ..<br />ये तय है कि हम ईद मनाने के नहीं हैं <br />मिलकर न कहा तुम ने अगर ईद मुबारक.<br />और बाकी के सभी अशआर भी बेहद खूबसूरत बने हैं ..gurpreet singhhttps://www.blogger.com/profile/15070768860145897748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-58239502069582601752017-06-28T09:20:14.961+05:302017-06-28T09:20:14.961+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (29...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (29-06-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in" rel="nofollow"><br />"अनंत का अंत" (चर्चा अंक-2651)<br /> </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17598727616109701192017-06-28T03:07:15.389+05:302017-06-28T03:07:15.389+05:30बहुत बेहतरीन गज़लें हैं दोनों ही..ईद मुबारक!! बहुत बेहतरीन गज़लें हैं दोनों ही..ईद मुबारक!! Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-79159183230277351572017-06-27T23:57:49.469+05:302017-06-27T23:57:49.469+05:30इलाहाबाद में एक मान्यता है कि ईद का मौसम महीने भर ...इलाहाबाद में एक मान्यता है कि ईद का मौसम महीने भर चलता है. यानी, ईद एक रोज़ा त्यौहार नहीं है. उस हिसाब से मुशायरा समय पर ही है. वैसे, हम कल सुबह से उन्तीसे-तीसे के चाँद पर नज़र रखने की तरह पटल पर नज़र जमाये हुए थे. <br /><br />आदरणीय दिगम्बर नासवा जी की ग़ज़ल का मतला ही आशाओं-उम्मीदों से भरा हुआ सामने आया है. वाह वाह ! <br />इसी तरह, देखेंगे तो वो इश्क़ ही .. भी दिल के नज़दीक का शेर हुआ है<br />मगर दिल जीत गया, इन्सान ही इन्सान का दुश्मन जो बनेगा.. केलिए ढेरों दाद. बहुत खूब भाई साहब. <br />कुछ इसी अंदाज़ में हमने भी कहने की कोशिश की है. देखिएगा. <br /><br />आदरणीया नुसरत मेहँदीं की ग़ज़लों का इंतज़ार तो रहता ही है. वो तो पूरा हुआ ही. अलबत्ता क्या ग़ज़ल आयी है ! वाह वाह ! एक-एक शेर कमाल ! महीन बुनाई का सुंदर नमूना हैं सारे शेर .. <br />खुलने लगे इमकान के दर .. इस एक मिसरे ने भावनाओं की तरंगों को बेहतरीन ढंग से शाब्दिक कर दिया है.<br />ये तय है कि हम ईद मनाने के नहीं हैं.. जैसे शेर से जैसी आत्मीयता छलकी बाहर आ रही है, वह मुग्ध कर देती है. <br />लेकिन, दिल जीत लिया .. कुछ लोग हैं लेकिन पसे दीवारे अना भी .. वाह वाह वाह ! इस एक शेर में हठ, नाज़, अपनत्व, उम्मीद और भरोसे को जैसे बाँध कर आपा ने शब्दबद्ध कर दिया है. दिल खुश हो गया है और मुशायरा बन गया ! <br /><br />ईद की मुबारक़बाद के साथ-साथ अगले एपीसोड की प्रतीक्षा है.. <br />शुभ-शुभ<br /><br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-47285311697213775892017-06-27T23:02:52.627+05:302017-06-27T23:02:52.627+05:30मतले से मकते तक ईद मुबारक का सफर दिगंबर जी ने यादग...मतले से मकते तक ईद मुबारक का सफर दिगंबर जी ने यादगार बना दिया है, हर शेर कमाल का है. दिगंबर जी का ये रंग निहायत दिलकश और खुशगवार है. <br />नुसरत जी का 'कुछ लोग जो हैं... 'शेर, अपने आप में पूरी ग़ज़ल है...इसकी जितनी तारीफ़ करें कम ही रहेगी.<br />बेहतरीन शेरों से सजी मुकम्मल ग़ज़ल के लिये नुसरत जी को ढेरों दाद .नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-18728528673020645042017-06-27T17:15:57.658+05:302017-06-27T17:15:57.658+05:30खूबसूरत गज़लोम की प्रस्तुति के लिये आपको और दोनोम श...खूबसूरत गज़लोम की प्रस्तुति के लिये आपको और दोनोम शायरोम को बधाइ और इड मुबारकराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-75788813775335057972017-06-27T14:12:01.964+05:302017-06-27T14:12:01.964+05:30मुशायरे की शानदार शुरुआत के लिएबहुत बहुत बधाई.
वा...मुशायरे की शानदार शुरुआत के लिएबहुत बहुत बधाई. <br />वाह क्या कहने!देखेंगे तो वो इश्क........ और<br />इंसान ही इंसान...दिगंबर जीवाह.<br />आदरणीया नुसरत जी गजब मतला. और ये तय है कि....अति सुन्दर<br />Dr.Sudhir Tyagihttps://www.blogger.com/profile/06853848790492889294noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-15599818293323198352017-06-27T12:55:00.171+05:302017-06-27T12:55:00.171+05:30दोनों ही ग़ज़लें शानदार। ईद मुबारक़ दोनों ही ग़ज़लें शानदार। ईद मुबारक़ girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-77463693796486498422017-06-27T12:53:20.386+05:302017-06-27T12:53:20.386+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-70771774132758058732017-06-27T11:25:49.457+05:302017-06-27T11:25:49.457+05:30साजिश ने हवाओं की जो पर्दा है उड़ाया
आया है मुझे च...साजिश ने हवाओं की जो पर्दा है उड़ाया <br />आया है मुझे चाँद नज़र, ईद मुबारक<br /><br />इंसान ही इंसान का दुश्मन जो बनेगा <br />तब किसको कहेगा ये शहर, ईद मुबारक<br />दिगम्बर नासवा जी बहुत खूब।<br /><br />लो फिर से महकने लगीं उम्मीद की कलियां <br />खुलने लगे इमकान के दर, ईद मुबारक<br /><br />ये तय है कि हम ईद मनाने के नहीं हैं <br />मिलकर न कहा तुमने अगर ईद मुबारक<br />बहुत खूब नुसरत मेहदी जी।Ashwini Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-85459034083946811402017-06-27T11:19:50.677+05:302017-06-27T11:19:50.677+05:30किसी किसी मिसरे पर तरही कठिन इसलिये भी हो जाती है ...किसी किसी मिसरे पर तरही कठिन इसलिये भी हो जाती है कि ग़ज़ल ग़ज़ल जैसी न दिखकर विषय विशेष का स्तुतिगान सी लगने का भय समाया रहता है और इसी भय में शुरुआत ही नहीं हो पाती! शायद यही कारण रहा हो कम ग़ज़ल आने का लेकिन प्रस्तुत दोनों ग़ज़ल पुष्ट करती हैं कि जहाॅं न पहुॅंचे रवि वहाॅं पहुॅंचे कवि!तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.com