tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post1351015526210121083..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: तरही की धमाकेदार शुरुआत की है बिटिया अनन्या ने, और अब सिलसिला आगे बढ़ा रहे हैं डॉ. मोहम्मद आज़म, तिलक राज कपूर जी, प्रकाश पाखी, मुकेश तिवारी तथा पारुल ।पंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-53878277417505928032009-10-22T08:57:58.561+05:302009-10-22T08:57:58.561+05:30आदरणीय पकंज जी
मेरे अति साधारण प्रयास को शामिल करन...आदरणीय पकंज जी<br />मेरे अति साधारण प्रयास को शामिल करने के लिए आभारी हूँ आपकी ....सभी बड़ों व् मित्रों ने इतनी हिम्मत बढ़ायी..बहुत बहुत शुक्रिया आप सबका <br />सादरपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-49804205802368265632009-10-15T23:58:24.178+05:302009-10-15T23:58:24.178+05:30यह तरही आने आप में एक संग्रह बन कर रहेगी और बन कर ...यह तरही आने आप में एक संग्रह बन कर रहेगी और बन कर रहेगी। यह रोक पाना संभव नहीं है यह अनन्या की पहली ग़ज़ल ने ही स्पष्ट कर दी कि विचार काम कर रहा है इस तरही के साथ और जब विचार मन के द्वार से बुद्धि में प्रवेश करता है तो वह एक साथ कई जगह ऐसा करता है। बस यही हो रहा है और मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर इस तरही की ग़ज़लें दीपावली के बाद भी आती रहें। मैं प्रशंसा के मामले में कुछ अधिक ही सावधान रहता हूँ, महाकवि भारवि का प्रसंग याद आ जाता है जिसमें भारवि अपने पिता की हत्या इसलिये करना चाहता है कि पिता राजकवि होते हुए भी राजदरबार में उसकी कही कविताओं की प्रशंसा कभी नहीं करते। हत्या के उद्देश्य से जब वह घर में नंगी तलवार लिये आता है और रात होने की प्रतीक्षा में छुपकर मॉं और पिता को बात करते हुए सुनकर जानता है कि वे उसकी प्रशंसा जानबूझकर नहीं करते जिससे प्रशंसा के अभिमानस्वरूप उसका विकास न रुक जाये तो वह पिता की महानता के आगे बिलखते हुए नतमस्तक होकर क्षमायाचना करता है। <br />मैं न भारवि हूँ, न ही भारवि का पिता, लेकिन प्रशंसा में सावधान रहना आवश्यक समझता हूँ। हॉं, विपरीत स्थिति में बेबाक टिप्पणी करने से नहीं चूकता। अगर बेबाक टिप्पणी न होगी तो विकास कैसे होगा। <br />संक्षिप्त में कहूँ तो स्वयं को बाहर रखते हुए कह सकता हूँ कि प्रयास सभी ने अच्छे किये हैं और एक अच्छा आधार तैयार किया है जिसके माध्यम से ग़ज़लगोई की बारीकियॉं पर विस्तृत सामग्री तैयार की जा सकती है। <br />एक बात जो अक्सर ग़ज़ल को लेकर अक्सर चर्चा में रहती है वह है उर्दू सहित और और उर्दू रहित ग़ज़ल का। मेरा मानना है कि यह अनावश्यक विवाद है, उर्दू हिन्दी भाषा के बीच ही जन्मी है, हॉं उर्दू के जिस रूप और जिन शब्दों के उच्चारण की बात लोग करते हैं वह उर्दू न होकर शुद्ध फारसी शब्द हैं। अगर कोई शायर फारसी व्याकरण व शब्द विन्यास का उपयोग करे तो सावधानी का प्रश्न उठता है अन्यथा जो शब्द हिन्दी में जिस रूप में रच-बस गये हैं उन्हे उसी रचे-बसे रूप में प्रयोग करने पर विवाद का प्रश्न बनाना उचित नहीं। अब अगर सारा हिन्दुस्तान शह्र को शहर बोलता है तो इस पर विवाद उचित नहीं। उर्दू संबंधी यह अंश लिखने का स्पष्ट उद्देश्य यह है कि जो शायर शब्द विवाद के रहते हुए शब्द विशेष के उपयोग से बचाने का प्रयासस करते हैं, वे ऐसा न करें और खुल कर व्यक्त हों। <br />तिलक राज कपूरतिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25991668094697919702009-10-15T22:00:34.497+05:302009-10-15T22:00:34.497+05:30हमारी पारुल जी से शुरू करुँ किसीने उन्हें
" ...हमारी पारुल जी से शुरू करुँ किसीने उन्हें<br /> " लेडी गुलज़ार " के नाम से नवाजा है :)<br /><br />इसी तरह लिखतीं रहीं<br /> तब उन्हें भी " ओस्कर "<br /> मिला ही मिला अब तो ..<br />वाहवाह .....<br />एक और गुजारीश उनसे,<br /> अपने दीलकश सुरों में पिरोकर<br /> सुना देतीं तो .......<br />हम भी औरों के संग<br /> " सजदे करते ..सर झुकाते हैं " :)<br /><br />भाई मुकेश जी का<br /> " वो ना आये .."<br /> बहुत भाया ...<br />भाई प्रकाश पाखी जी की दुआएं<br /> ऊपरवाले ने कुबूल कर लीं<br /> तो अमनोचैन छाते देर ना होगी <br />" मेल मन से मिटे ..."<br /> आमीन ! <br /><br />भाई तिलक राज जी की बात सुनकर हम भी मुस्कुराए :)<br />" उनकी फितरत थी हमको सताते रहे ..." <br />और भी सारे खूबसूरत लगे <br /><br />डाक्टर आज़म साहब को पहली दफे पढ़ रही हूँ ...एक सिध्धहस्त शायर के क्या कहने ..<br /><br />बेहद नफीस अंदाज़ में ,<br /> गहरी बातें कह गएँ हैं वे ...<br />आप सभी को ,<br /> मेरी सच्चे मन से निकलीं <br />बधाई भेज रही हूँ ..<br />स्वीकारीयेगा ..please .<br />और हमारे गुणों के खान ,<br /> पंकज भाई साहब को <br />अनगिनत पाठक वर्ग के साथ <br />" शुक्रिया " कहते बेहद खुशी हो रही है :-)<br />...<br />" दीवाली ऐसी तो ना आयी थी कभी .."<br />धन्य है ये सायबर वर्ल्ड !!<br /> जिंदाबाद !! जिंदाबाद !! <br />" तरही मुशायरा जिंदाबाद !! " <br />सादर , स - स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82695584772676745292009-10-15T20:33:47.798+05:302009-10-15T20:33:47.798+05:30फुरसत से ऑफिस से लौटने के बाद इत्मीनान से ब्लॉग के...फुरसत से ऑफिस से लौटने के बाद इत्मीनान से ब्लॉग के आगोश में चला आया .... थोडी सी झलक तो सुबह ही देख ली थी और उंगलियाँ थम गयी थी इसलिए कोई बढ़िया टिपण्णी नहीं कर पाया , शाम तक सोचता रहा के क्या मैं कुछ टिपण्णी करने के लायक हूँ भी के नहीं मगर सोचा जो मन में है उसे तो कह ही देनी चाहिए .... <br />तरही में मुशायरा कमाल हो रहा है गुरु देव .. इतने महारथी बाप रे मैं तो भगोडा साबित होने के लिए तैयार गुरु देव इन सभी दिग्गजों के सामने ... <br />सबसे पहले आजम साहिब के लिए ...<br />पिछली दफा जब इनके शे'र पढ़े थे तरही में तभी से इस उस्ताद सयीर का मैं सबसे बड़ा प्रशंशक हो गया हूँ और आपसे बात होने पे आप ने जिस तरह से इनके बारे में बताया है सच में गुरु देव कमाल की शायरी की है इन्होने ...मतला खुद तो बोल रहा है मगर साथ में सारे अश'आर दिवाली की धूम मचाने पे तुले हुए हैं.. इनका हुस्ने मतला हम हथेली पे सरसों वाली बात किस बारीकी से इन्होने कही है और साथ में लौट कर जब तलक वो घर आया नहीं ... जैसे सभी के घर के किस्से इन्होने कह दिए आखिर यही होता है उस्ताद शाईर का कहने का अंदाज वाह क्या बात की है इन्होने कमाल है ... बहुत बहुत बधाई इनको ..<br /><br />कपूर जी की बात के क्या करूँ उम्र के हिसाब से अगर इनके शे'र देखे जाएँ तो लगेगा के कितने कम उम्र के है , कितने मासूम से शे'र कहे हैं इन्होने मुहब्बत की बारिकिओं को क्या खूब अंदाज से रखा है इन्होने अगर इनकी तस्वीर नहीं लगी होती तो इनको मैं २५ से ज्यादा के उम्र का नहीं कहता ... <br />शे'र उनकी फितरत थी हमको ... वाली और कनखियों से के लिए अब क्या कहूँ गुरु देव ... अपने उम्र पे शर्म आने लगी है मुझे ... हा हा हा मगर वहीँ उन्होंने जो अपनी ताज़र्बाकारी का शे'र डाला है एक फूटपाथ पे सोता रहा .. अचानक से चौका देने वाला शे'र है ...और मक्ता अलग कहर बरपा रहा है ... बहुत बहुत बधाई <br /><br />और भाई पाखी जी ने अपने नजाकत वाले लहजे में जो बात कही है वो कबीले तारीफ है गुरु देव सच में इन्होने काफी कम समय में बहुत कुछ सीखा है , खूब उस्तादाना शे'र निकाले हैं इन्होने ..जिस तरह से गिरह इन्होने लगाई है वो शे'र खुद कह रहा है भाई अर्श तुम्हारे लिए ये शेरो शायरी कहना बस की नहीं ... मैं इन्हें हरफनमौला शाईर कहना चाहता हूँ गुरु देव ....आप खुद देखो सरगमे प्यार की वाला शे'र क्या गुल खिला रहा है अकेले ही ग़ज़ल है यह शे'र तो ...<br /><br />मुकेश जी पहली बार इस तरही में शामिल हुए हैं सबसे पहले तो इनका मैं दिल से स्वागत करता हूँ.. दिन गुजरते रहे रातें ... यश शे'र खुद इनके उस्ताद होने का परिचय दे रहा है ...तिस पर जान लेने वाला शे'र अपनी खामोशिया बन गयी हैं सदा .... क्या जान लेवा आन्ही है ,,.. सलाम इस उस्ताद शाईर को गुरु देव ...<br /><br />और आखिर में पारुल जी ,..<br />मैं तो इनको एक सिंगर के रूप में जानता था , बहुत बारी बात हुई है कंचन जी से इनके गायकी के बारे में सोचा कभी बात हो पायी तो गायकी के कुछ गुर सीखूंगा मगर अब सोच आरहा हूँ के शे'र कहने के अंदाज सिख लूँ और चलता बनू .. सच में मुझे आज इन्होने चौका दिया है ... अपने इस नए चहरे से ...<br />शे'र बेतकल्लुफ हुए जो बढे फासले ये शे'र याद हो जाने वाला शे'र है जिसे कोट किया जा सकता है ...और शे'र ऐसी खफगी .. क्या खूबसूरती से मिसरे को कसा है इन्होने ... कमाल की शायरी की है इन्होने ... और इनकी तस्वीर भी बहुत अछि है ... <br /><br />तरही अपने शबाब पे धीरे धीरे चढ़ता हुआ ... आपकी मेहनत और इन्ताने सारे उस्ताद शायरों से मिलना .. दिवाली का बहुत बड़ा तोहफा है हम सब के लिए .. ब्लॉग का कलेवर अलग ही कहर बरपा रहा है ... प्रणाम गुरु देव ...<br /><br /><br />आपका<br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-22400002887174681172009-10-15T19:35:29.796+05:302009-10-15T19:35:29.796+05:30बस वाह, वाह वाह ! और नमन!
इसके आगे जो कहना है ऊपर...बस वाह, वाह वाह ! और नमन! <br />इसके आगे जो कहना है ऊपर की सारी टिप्पणियों में कहा जा चुका है! <br />मन खुश हो गया सुबीर भईया ! आप की महफ़िल है, शानदार क्यों न होगी! <br />बहुत ही अच्छी ग़ज़लें, कुछ इतने उम्दा शेर कि बस साथ ही हो लिए मन के ! <br />आप सबको बहुत बहुत बधाई!Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-13201856941601451342009-10-15T18:36:47.866+05:302009-10-15T18:36:47.866+05:30मुझे मालूम था मेरी बात सच निकलेगी...ये तरही मुशायर...मुझे मालूम था मेरी बात सच निकलेगी...ये तरही मुशायरा मैंने कहा था धूम मचा देने वाला होगा...और धूम देख रहा हूँ की ऐसी मचेगी की लोग बरसों याद रखेंगे...बेमिसाल शायरी का मुजाहिरा हुआ है इन पांच उस्तादों की कलम से...एक एक शेर पढ़ कर सर धुन रहा हूँ...आह और वाह के सिवा मुंह से और कुछ निकल ही नहीं रहा...फुटपाथ वाला शेर तो वल्लाह क्या बात है... क्या मौज लगा दी है इस बार गुरुदेव आपने...सच्ची दिवाली माने जा रही हैं...ऐसी रंगीन आतिशबाजी और कहाँ देखने को मिलेगी...जय हो....<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-39303114629243883532009-10-15T17:58:56.372+05:302009-10-15T17:58:56.372+05:30aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen......aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen......डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-57582179901606997582009-10-15T17:40:16.981+05:302009-10-15T17:40:16.981+05:30प्रकाश जी शनैः शनैः आप प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं।आपक...प्रकाश जी शनैः शनैः आप प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं।आपके शेर <br /><br /><b>दर्द हो, हो चुभन. आग जलती रहे,<br />रिश्ते में हो चुभन पर निभाते रहें।</b><br /><br />अच्छा लगा<br /><br />और मुकेश जी तो शायद पहली बार आये हैं..उनका शेर<br /><br /><b>रोटियाँ आसमाँ से अभी आयेंगी,<br />भूख को यूँ दिलासा दिलाते रहे।</b><br /><br />दाद के काबिल था।<br /><br />कल की पोस्ट पर अनन्या को आप सब का जो आशीर्वाद मिला..वो शायद बताने जताने के कहीँ आगे है। महावीर जी जैसे दिग्गज का आशीर्वाद ..शअयद वो भी नही जानती कि क्या मायने है इसका...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-31541441785030240062009-10-15T17:39:10.432+05:302009-10-15T17:39:10.432+05:30नन्हीं शायरा अनन्या के बाद शम्अ जो एकदम से पाँच द...नन्हीं शायरा अनन्या के बाद शम्अ जो एकदम से पाँच दिग्गजों के समक्ष आ गयी, हम तो पेशोपेश में पड़ गये।<br /><br />गुरूदेव, ब्लौग की छटा तो ऐसी निखर आयी है इन पांच बेमिसाल ग़ज़लों से कि क्या कहें...!<br /><br />मोहम्मद आजम साब जब अपने मतले से तीर चलाते हैं तो हम उस तीर की चोट का असर दूर तलक देखते हैं...और यकीनन उनके कुछ संयुक्ताक्षर वाले उस्तादी लचक ये बताते हैं कि भैया उस्ताद तो फिर उस्ताद ही होता है। उनका ये "गिन रहा था तमाम अपने दुश्मन मगर, दोस्त जिगरी भी कुछ याद आते रहे" मन को छू गया है।<br /><br />फित तिलक राज साब का "चांदनी से तराशे हुये जिस्म पर,वो सितारों की महफ़िल सजाते रहे" में छुपा व्यंग्य हठात ढ़ेर-ढ़ेर सारे वाह-वाह करा गया। और उनका ये कनखियों वाला शेर भी खूब-खूब भाया।<br /><br />पाखी साब को देखकर और उनके कसे हुये मिस्रों को देखकर सचमुच बहुत खुशी हो रही है। इतने कम दिनों में उन्होंने जो महारत हासिल की है वो प्रशंसनीय है। "दर्द हो हो चुभन, आग जलती रहे/रिश्ते में हो तपन पर निभाते रहें" उनमें छुपे उस्ताद की झलक दे रहा है।<br /><br />मुकेश तिवारी जे के छंद-मुक्त लिक्खे तो हूब पढ़े हैं मैंने, अबकि ग़ज़ल में वही खूबसूरती देखकर मजा आ गया।"अपनी खामोशियां बन गयी है सदा" वाला मिस्रा तो इतना प्यारा लगा कि क्या कहूँ और फिर "रोटियां आस्मां से अभी आएंगी" वाला शेर पर सैकड़ों वाह-वाह।<br /><br />...और पारूल के तो हम ब्लौग के शुरूआती दिनों से जबरदस्त फैन रहे हैं। मैं तो सुनकर ही घबड़ा उठा था कि इस बार पारूल भी आ रही हैं मुशायरे में, हम तो क्या ग़ज़ल कहेंगे इनके सामने। वैसे सच तो ये है गुरूदेव कि यदि आप ये ग़ज़ल यूं भी लगा देते बगैर किसी के नाम और तस्वीर के साथ तो भी हम दावे से कह देते कि ये तो हमारी सर्वाधिक पसंदीदा कवियत्री की ग़ज़ल है।"मशवरा अब जरा हिचकिचाते रहें" वाला शेर तो सोचता हूँ चुरा लूँ। और फिर "ऐसी ख़फ़गी..." वाला तो आह-ऊह-उफ़्फ़ वाला शेर है।<br /><br />हमारी वो अदनी से ग़ज़ल तो ना डालिये गुरूदेव अब। न, पहले अनन्या और अब ये पाँच उस्ताद लोग...हे ईश्वर!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-64596173457610454802009-10-15T17:33:19.043+05:302009-10-15T17:33:19.043+05:30महफ़िलें आप यूँही जमाते रहें
लुत्फ़े अश आर हम सब उठा...महफ़िलें आप यूँही जमाते रहें<br />लुत्फ़े अश आर हम सब उठाते रहें<br />कोहेनूरों को जो थे छुपे आज तक<br />सामने आप ऐसे ही लाते रहें<br />खूबसूरत गज़ल को सुनें नज़्म भी<br />तालियाँ जोर से हम बजाते रहेंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-53638177941056576632009-10-15T17:27:48.200+05:302009-10-15T17:27:48.200+05:30सुबह से ही बार बार आती हूँ और बिना समझे चली जाती ह...सुबह से ही बार बार आती हूँ और बिना समझे चली जाती हूँ कि क्या कमेंट करूँ...! इतने सारे लोगो ने इतना अच्छा लिखा है..किसे संभालूँ, किसे छोड़ूँ..??<br /><br />पाँच लोगो को एक ही थीम पे एक साथ पढ़ना..और एक से एक पढ़ना ..!<br /><br />जैसा कि अनन्या वाली पोस्ट पर आपने लिखा ही था कि इस बार ढेर सारी प्रविष्टि आने और दीपावली के माहौल में ही सारी डालने की कोशिश के कारण पोस्ट अब रोज़ आयेंगी..!<br /><br />मगर कल आई आकस्मिक समस्या के कारण कल की पोस्ट ना पड़ना और इसी कारण आज कल वाली पोस्ट को शामिल करना ...!<br /><br />मोहम्मद आज़म जी का शेर <br /><br /><b>लौट कर जब तलक घर वो आया नही,<br />बस बुरे ही खयालात आते रहे</b><br /><br />जैसे हर घर में बैठी माँ और बहन का कथन हो<br /><br />और तिलक राज कपूर जी का<br /><br /><b>जिस डगर हम चले चोट खाते रहे,<br />राह अपनी मगर हम बनाते रहे।</b><br />की सकारात्मकता और<br /><br /><b>कनखियों से ही शायद, कभी देख लें,<br />सोचते हम रहे, वो लजाते रहे।</b><br />क्या नाज़ुक शेर है। और उस पर गिरह<br /><br /><b>एक फुटपाथ सोता रहा, रात भर,<br />दीप जलते रहे झिलमिलाते रहे।</b><br /><br />और फिर पारुल की बात..<br /><br /><b>गर अमावस भी हो मुसकुराते रहें..!</b><br /><br />क्या शुभकामनाए हैं।<br />और ये शेर<br /><b>बेतकल्लुफ हुए जो बढ़े फासले,<br />मशविरा अब ज़रा हिचकिचाते रहें।</b><br /><br />कितने ही लोगो ने अपने जीवन का सच ढूँढ़ा होगा इसमें।<br /><br /><b>रेख लाँघती सीता की कहानी सुनाना ..</b><br /><br />और <br /><br />ये शेर<br /><b>ऐसी खफगी, मेरी जाँ मुनासिब नही,<br />हन मनाते रहें जाँ से जाते रहें....!</b><br /><br />वाह वाहकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-15485815710230742009-10-15T15:25:21.683+05:302009-10-15T15:25:21.683+05:30गुरुदेव,
प्रणाम..!
आशा करताहूं कि आपका आर्शीवाद बन...गुरुदेव,<br />प्रणाम..!<br />आशा करताहूं कि आपका आर्शीवाद बना रहेगा.<br />आज़म साहब,तिलक जी,मुकेश जी और पारुल जी के चमकते शेरों के साथ हमारा नूर भी बढ़ गया,तिलक साहब के सब शेर लाजवाब है.'रहें' के रदीफ़ के साथ गजल लिखना मुश्किल है मेरे जैसे व्यक्ति के लिए...पर अब दिवाली धमाके का इंतजार है.<br />तरही में गजल शामिल करने के लिए शुक्रिया! <br />आपका मुशायरा हमेशा की तरह शानदार है.प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-68615962345669725242009-10-15T13:51:10.777+05:302009-10-15T13:51:10.777+05:30प्रणाम गुरु जी,
एक जानदार शुरुआत अनन्या ने कर दी थ...प्रणाम गुरु जी,<br />एक जानदार शुरुआत अनन्या ने कर दी थी जो एक प्रमाण था की अभी आगे बहुत कुछ छिपा है.<br />आज़म जी की ग़ज़ल का मतला ही बता देता है की आगे आने वाला हर शेर महफिल लूट लेगा. फिर हुस्न-ए-मतला सुभानाल्लाह. वैसे तो हर शेर अच्छा और बेहतरीन है मगर जो कुछ शेर जुबान पे चढ़ गए हैं वो हैं "हो गया था नज़र से वो ओझल..........."<br />तिलक जी की ग़ज़ल का हुस्न-ए-मतला "उनकी फितरत.........." के क्या कहने और कुछ शेर जैसे "एक फुटपाथ................" और "पेड़ बूढा ........" लाजवाब हैं. दोनों ही शेर प्रतीकों के माध्यम से बहुत कुछ कह रहे हैं.<br />प्रकाश जी के जो शेर मुझे बेहद पसंद आया वो हैं, "सरगमें प्यार की..............."<br />मुकेश तिवारी जी के शेर "दिन गुज़रते रहे......" और "रोटियां आसमां...................." बेहतरीन बन पड़े हैं.<br />पारुल जी की ग़ज़ल का मतला एक आशावाद झलका रहा है, शेर "बेतकल्लुफ..........." और "चंद पुखराज................" उम्दा हैं.<br />पाँचों रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई की आपने अपनी इन खूबसूरत रचनाओं से नवाजा.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-69496475521147672792009-10-15T13:41:23.400+05:302009-10-15T13:41:23.400+05:30प्रणाम गुरु देव .......
एक से बढ़ कर एक पाँचों रचन...प्रणाम गुरु देव .......<br />एक से बढ़ कर एक पाँचों रचनाकारों को पढा .......... मज़ा आ गया .......... कमाल की शायरी है ........आज तो ब्लॉग नए नए शेरों से महक रहा है .......... लाजवाब शुरुआत के बाद जोरदार प्रवाह है ...........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82606847875400130452009-10-15T10:42:42.081+05:302009-10-15T10:42:42.081+05:30सुंदर!सुंदर!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-28430883184909465062009-10-15T10:18:05.139+05:302009-10-15T10:18:05.139+05:30कल हिमांशी [अनन्या] की रचना तो मेरे लिये प्रेरनास्...कल हिमांशी [अनन्या] की रचना तो मेरे लिये प्रेरनास्त्रोत रही है उसे बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद।। बाकी सभी की गज़ल को 2-33 बार पढा। जनाब आज़म जी <br />कगज़ी आँकडे वो दिखाते रहे---- कमाल की चोट है आज की व्यवस्था पर। पूरी गज़ल खूबसूरत है<br />तिलक राज कपूर जी की गज़ल ने बान्ध लिया। किस किस शेर की तारीफ करूँ <br />पेड बूढा नहीं हो सका जब तलक<br />कुछ परिन्दे घरोंदे बसाते रहे-- <br />प्रकाश पाखी ज मुकेश तिवाडी जी और पारुल जी ने भी खूब समय बान्धा है। तीनो का हर शेर काबिले तारीफ है । सभी की गज़लें लाजवाब हैं फिर एक एक शेर के बारे मे कहूं तो पूरी गज़ल से अन्याय होगा । सभी को बहुत बहुत बधाई और आपको भी बधाई आपके लगाये गयी पेड इस तरह फल रहे हैं। दीपावली की आपको व आपके परिवार को और आपके ब्लाग परिवार को शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-67848709102260034352009-10-15T09:50:56.390+05:302009-10-15T09:50:56.390+05:30जनाब आज़म जी की और तिलक राज कपूर जी की रचनाओं को पढ...जनाब आज़म जी की और तिलक राज कपूर जी की रचनाओं को पढकर तो आनंद ही आ गया(शायद मुझे उर्दू मिश्रित हिन्दी ज़्यादा पसन्द है) और अन्त में पारुल जी की रचना ने भी समा बाँध दिया...प्रकाश पाखी जी की और मुकेश तिवारी जी की भी रचनाएँ अच्छी बन पड़ी हैँराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-91632688975600375042009-10-15T09:22:04.636+05:302009-10-15T09:22:04.636+05:30गुरूदेव,
सादर वंदन,
रहीम जी की कही बात आज फिर सच...गुरूदेव,<br /><br />सादर वंदन,<br /><br />रहीम जी की कही बात आज फिर सच हो गई कि " बड़े बड़ाई ना करैं, बड़े ना बोले बोल...." आपने किस खूबसूरती/मास्टर टच से मेरे अधकचरे अशआरों में जान फूंक दी है।<br /><br />मेरे लिये तो इस मुशायरे में शामिल होना हॊ बड़ी बात है, या यूँ कह लें कि सीखने की गरज से मैं आपका और सभी हुनरमंद काबिल फनकारों का साथ पा सकूंगा।<br /><br />एक से एक उम्दा शे’र कहे गये हैं, मैं कोई टिप्पणी तो नही कर सकता क्योंकि विषय को उतना बेहतर समझना होता है, मैं तो केवल बार-बार पढ़ कर अपने को सुधारने की कोशिश करूंगा।<br /><br />आप सभि को त्यौहारों की अग्रिम शुभकामनायें।<br /><br />सादर,<br /><br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-23691472368973083192009-10-15T09:07:32.125+05:302009-10-15T09:07:32.125+05:30गुरु देव सादर प्रणाम,
पंचों बेमिशाल रचनाकारों को प...गुरु देव सादर प्रणाम,<br />पंचों बेमिशाल रचनाकारों को पढा मगर जल्दी जल्दी में , और होश गम हो गए मेरे तो पसीने छुट रहे हैं.. क्या कमाल की शायरी की गयी है आज , अनन्या ने जो ठोस शुरुयात दी है मध्य क्रम के बल्लेबाजों ने वाकई इसे उंचाईयां बख्शी है... शाम को फिर से आता हूँ ... एक बड़ी टिपण्णी के लिए...<br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-7585069922505940242009-10-15T09:07:11.145+05:302009-10-15T09:07:11.145+05:30महफिल जमकर चल रही है। एक-से-एक उम्दा शे'र सुनन...महफिल जमकर चल रही है। एक-से-एक उम्दा शे'र सुनने को मिल रहें हैं। सभी को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com